बैतूल दिनांक 13 दिसंबर 2012
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि वर्तमान समय में मौसम में आये परिवर्तन के कारण चने की फसल पर कहीं-कहीं इल्ली देखने में आ रही है। किसान चने की इल्ली का उचित समय पर समेकित प्रबंधन कर आर्थिक हानि से बचें।
इस कीट की इल्ली अवस्था ही फसल का हानि पहुंचाती है। प्रारंभिक अवस्था में यह पत्तियों का हरा पदार्थ खुरचकर खाती है, फिर कोमल पत्तियों, टहनियों को खाती है एवं चने की घेटी में छेद करके घेटी का दाना खाती है।
प्रबंधन उपाय – जैविक नियंत्रण
नीम तेल 75 मिली लीटर प्रति पंप के साथ 15 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें। पांच लीटर म_े में एक किलो नीम के पत्ते व धतुरे के पत्ते डालकर 10 दिन तक सडऩे दें, इसके बाद मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। आधा किलो हरी मिर्च व लहसून 250 ग्राम पीसकर 150 लीटर पानी में डालकर छान लेवें तथा एक एकड़ के लिये इस घोल का छिडक़ाव करें।
रासायनिक नियंत्रण
क्युनॉलफॉस 25 ई.सी. 1000 से 1250 मिली प्रति हेक्टर की दर से छिडक़ाव करें। क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 1250 से 1500 मिली प्रति हेक्टर की दर से छिडक़ाव करें। ट्रायजोफास 40 ई.सी. 1000 मिली प्रति हेक्टर की दर से छिडक़ाव करें।
सावधानियां
कीटनाशक दवाओं का उपयोग सुझाई गई मात्रानुसार ही करें। पुरानी एवं मियाद समाप्ति वाली दवा का उपयोग न करें। कीटनाशी दवा विश्वसनीय व्यापारी से ही खरीदें। दवा खरीदते समय व्यापारी से रसीद ले एवं उसे संभाल कर रखें। कीटनाशक के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सावधानी पूर्वक उपयोग करें। कीटनाशक दवा के डिब्बे पर दिये गये निर्देशानुसार उपयोग करें।
उपरोक्त बातों का अनुसरण किये जाने पर इस कीट के गंभीर प्रकोप से बचा जा सकता है। कृषकगण अधिक जानकारी के लिये कृषि विभाग के क्षेत्रीय कार्यकर्ता, विकासखण्ड कार्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्र बैतूल बाजार से संपर्क करें।
समा. क्रमांक/54/1037/12/2012