बैतूल। अपने धरने के 240वें दिन सेवा निवृत्त शिक्षक बीआर घोरसे ने बताया कि महात्मा गांधी के देश में जहां न्यायालय सर्वोपरी है वहीं शिक्षा विभाग जैसे पवित्र विभाग में व्यवस्था व भ्रष्टचार के विरोध करने पर मेरे लाखों रूपये शासन दबाये बैठा है। वहीं प्रकरण के 8-8 उ”ा न्यायालयीन आदेशों की इरादतन शासकीय पत्र, प्रमाणित अवमानायें, लाखों का गबन, करोड़ों का गोलमाल, संगीन आपराधिक प्रकरण, फर्जीवाड़े, व अनेक शर्मनाक कृत्यों की बाढ सी आई है। जिसके बहुपृष्ठीय पचासों शपथ पत्र शासन को दिये, टेप रिकार्ड के टेप के 12-12 कैसिटों की जांच की चुनौती तक शासन को दी है। जिसमें न्याय पाने सतत् 21 वर्षो से संघर्षरत हूं परन्तु यहां तो शिक्षा विभाग के कानून व न्याय के रखवालों ने ही कानूनों के हाथ बांध भक्षक बने हुये हैं। श्री घोरसे ने आरोप लगाते हुये कहा है कि 43 डिग्री के तापमान पर भी सतत् धरने पर बैठा हूं, न्याय, समानता, निष्पक्षता और मानवीयता ही तो संविधान की आत्मा है और न्याय पाना मेरा हक है श्री घोरसे ने कहा कि मैं आखिरी सांस तक न्याय के लिये धरने पर बैठा रहुंगा।