रक्त क्रांति स्मारिका के प्रकाशन पर रक्त पर जिले के लेखकों द्वारा लेख लिखे गये, जिसमें सपन दुबे को इस श्रेष्ठ लेख के लिये सम्मानित किया गया
एक विज्ञापन में एक छोटी से ब”ाी मासूमियत से एक अनजान युवक को थैक्यु कहती है, युवा अचरज से कहता है कि बेटा आप मुझे थैक्ंयु क्युं कह रहें हैं, ब”ाी कहती है कि मुझे एनिमिया है और हर हफ्ते खून की जरूरत होती है, मुझे नहीं पता मुझे कौन – कौन खून देता है इसलिये मैं सभी को थैंक्यु बोलती हूं, और वह ब”ाी चली जाती है, युवक आवाक होकर उसे देखता रहता है और पंच लाइन सांउड करती है की रक्तदान किजीये, अ’छा लगता है। दुर्घटना, शल्य चिकित्सा में तो रक्त की आवश्यकता होती ही है एनिमिया का मरीज और उसके परिजन रक्त का सबसे सही मूल्य पहचानतें हुये रक्तदाता को ईश्वरतुल्य मानते हैं।
हमने तथाकथित धर्मो के नाम पर बहुत रक्त बहाया है, गौर किजियेगा फिल्म क्रांतिवीर के चर्चित संवाद में नायक साम्प्रादायिक दंगों के बीच एक हिन्दु और एक मुस्लमान की उंगली पत्थर पर कुचलकर खून निकाल कर, मिला देता है और पूछता है कि बताओ हिन्दु का खून कौन सा है और मुस्लमान का खून कौन सा है। जब उपर वाले ने फरक नहीं किया तो तुम क्यों कर रहें हो। धर्म और समाज के नाम पर इसका संग्रहण और शिविर कम ही होते हैं। ऐसे में कलचुरी समाज का रक्तदान को लेकर यह प्रयास सराहनीय है। सभी धर्मों में दान का विशेष महत्व है। दान मानव की संवेदनशीलता का द्योतक है। सामान्यत: अपनी कमाई कुछ अंश दान करने की प्रेरणा धर्म ग्रन्थों में दी गई है।
इतिहास में भूमि और द्रव्य दान के अनेक उदाहरण मिलते हैं, पर रक्तदान की तुलना इनसे नहीं की जा सकती। आधुनिक विज्ञान ने किसी दूसरे व्यक्ति के रक्त से जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन रक्षा का अनोखा उद्यम तैयार किया है। दुर्घटना और बीमारी की स्थिति में जरूरतमंद व्यक्ति को रक्त दान देकर उसके जीवन की रक्षा की जा सकती है। रक्तदान मानव जीवन के अतुलनीय संवेदनशीलता की मिशाल है। यही नहीं कई बार जिस व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता होती है, उस पर पूरे परिवार के सदस्यों के जीवन के निर्वहन का भार होता है। ऐसे व्यक्ति को रक्त देकर कुछ लोग न सिर्फ एक व्यक्ति का, बल्कि पूरे परिवार को नया जीवन प्रदान करने का पुण्य कमाने के साथ ही इन्सानियत की अनुपम मिशाल भी पेश कर रहे हैं। खून पर जितनी मुहावरे गढ़े गये हैं शायद ही किसी और पर इतने बनाये गयें हों। इसके पीछे शायद वजह यह हो की खून मेडिकली नीड है लेकिन साहित्य और रिश्तों में यह अपील करता हुआ सबसे प्रबल विषय है।
गोया की रक्त की महत्वता हर कहीं विद्यमान है जिसे नकारा नहीं जा सकता है। मर्डर होने पर कातिल खून के निशान साफ करने की मंशा से फर्श और दीवार धो डालता है किन्तु फोरेंसिंक जांच करने वाली टीम खून बिखरा था की नहीं इसके लिये कमरे में अंधेरा कर कमीकल का छिड़काव करता है, खून चीख चीख कर खुद बयां करता है कि वो वहां मौजूद है। लेखक रक्त के विषय में तकनीकी जानकारी नहीं रखता है लेकिन इतना अवश्य पता है कि विज्ञान ने आज तक इसका विकल्प नहीं खोज पायी है, कृत्रिम रक्त बन नहीं पाया है। परन्तु रक्त दान करने से जो रिश्ता बनता है वो कृत्रिम नहीं हो सकता है। ये संवेदनशीलता का विषय है विज्ञान इस गूढ रहस्य हो नहीं समझ सकता है। रक्तदान करने के लिये सिर्फ जिगर और जमीर की जरूरत है ना धन की ना बल की।