बैतूल। भारत भूमि की पुण्य धरा पर अनेक विरांगनाएॅ अवतरित हुई है, जिन्होंने इस धरा पर अपने शौर्य और पराक्रम से अपने वंश को ही नहीं अपितु भारत भूमि को भी अलंकृत किया है । रानी दुर्गावती का शासन काल भारत के इतिहास में एक अनुठा स्थान रखता है, जिसकी अपनी पृथक पहचान है । वीरांगना दुर्गावती की गणना भारत तथा विश्व इतिहास के महान नारियों में की जाती है । तत्कालिन भारत के सबसे बड़े शक्तिशाली मुगल साम्रा’य के अन्याय एवं अत्याचार के विरोध में शस्त्र उठाये और स्वयं गजारूढ़ हो शत्रु का विनाश करती हुई युद्ध क्षेत्र में ही आत्म बलिदान कर दिया । रानी ने अपने बलिदान से गोंडवाना और भारत वर्ष का मस्तक ऊंचा कर दिया है
भारत वासी रानी के बलिदान को युगों-युगों तक स्मरण करते रहेंगे । उक्त उदगार अमर शहीद सरदार विष्णु सिंह गोंड संघर्ष समिति के अध्यक्षता में अन्तू मर्सकोले रिटायर्ड सैनिक द्वारा समग्र आदि गोण्डी धर्म संस्कृति शोध-बोध संस्थान सुखवान के तत्वाधान में शहीद भवन बैतूल में वीरांगना रानी दुर्गावती के 451वें शहादत दिवस के अवसर पर व्यक्त किये गये। संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन एकत्रित होकर द्वारा दीप प्र’जवलित कर वीरांगना रानी दुर्गावती महिला समिति बैतूल की अन्तू मर्सकोले व शहर प्रभारी श्रीमति सनोती इवने के फू ल माल्यार्पण से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया । कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित सामाजिक संगठनों के विधि सलाहाकार एस ़पेंद्राम जी ने अपने उद्बोधन में रानी जी की व्यक्तिव, वैभव, कृतित्व का अनुकरण करने समाज के युवाओं को प्रेरित किया ।
साथ ही जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन से आव्हान किया कि देश के स्वतंत्रता के लिए कुर्बानी के नाम से बना शहीद भवन व आदिवासी समाज के सेनानीयों व आदिवासी समाज की दशा पर मौलिक अधिकार के तहत संवैधानिक संरक्षक प्रदान किया जाय । कार्यक्रम के प्रमुखों में दिलीप धुर्वे कोया पुनेम, रेवाराम सलामे युवा संगठन,जे मरावी जी कर्मचारी संगठन, शंकर आहके गोण्ड समाज संगठन, बीएल धुर्वे आदिवासी विकास परिषद, रामदीन उइके सतपुड़ा आदिवासी विकास संगठन, सीएस धुर्वे, बी आर इवन, मन्नूलाल धुर्वे जय बड़ादेव सेवा मण्डल आदि लोग उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन जंगुसिंह धुर्वे द्वारा किया गया।