बैतूल। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सतपुड़ा वैली पब्लिक स्कूल में 11वां दो दिवसीय वार्षिकोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस बार प्रकृति की गोद में श्रेष्ठ बैतूल थीम पर बैतूल के इतिहास को कमानी गेट की भव्य साज-स”ाा वाले मंच पर छात्र-छात्राओं द्वारा बड़े रोचक ढंग से नाट्यात्मक प्रस्तुति द्वारा उकेरा गया। इस बार वार्षिकोत्सव के पहले दिन नर्सरी से ग्रेड-3 तक के नन्हें-मुन्हें ब”ाों ने मनमोहक प्रस्तुतियां देकर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया वहीं दूसरे दिन गे्रड-4 से गे्रड-10 तक के छात्र-छात्राओं ने बैतूल के इतिहास के कुछ अनछुए पन्नों को मुक्ताकाश में मंच को बैतूल के कमानी गेट का रूप देकर प्रस्तुत किया। पूरे कार्यक्रम में सैन्य जीवन, जंगल सत्याग्रह, मां अम्बे की आराधना और बैतूल के जनजीवन से जुड़ी बेजोड़ झलकीयां देखने को मिली, साथ ही वर्तमान युग के की-बोर्ड, कराटे और तबले के ताल ने भी गीत के माध्यम से खूब रंग जमाया। कार्यक्रम के पहले दिन के मुख्य अतिथि के रूप में बैतूल कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी पाटिल, निलय डागा, श्रीमती दीपाली डागा, कौशिक डागा एवं दूसरे दिन के आयोजन के मुख्य अतिथि राकेश जैन, विनोद डागा एवं जगदीशचंद्रा पूरे रहे।
बैतूल की सांस्कृतिक,एतिहासिक एवं प्राचीन धरोहर से कराया रूबरू
स्कूल के वार्षिकोत्सव में हमेशा एक सामाजिक संदेश को लेकर कार्य किया जाता हैं। इस वर्ष भी यह आयोजन की विशेषता रही कि बैतूल के इतिहास को लोगों तक पहुंचाया गया। जिसमें बैतूल जिले के सांस्कृतिक धरोहर, एतिहासिक इमारते एवं शिक्षा के क्षेत्रों में लोगों के योगदान को दर्शाया गया। वहीं बैतूल की नदियां पहाड़ यहां की बोलियां आदिवासी जनजातियों का वर्णन भी एंकरिंग के माध्यम से रखा गया। कार्यक्रम में सबसे पहली प्रस्तुति एक खुबसूरत डंास के साथ दी गई वहीं स्वास्थ्य से जुड़ा योगा एवं कराटे की भी प्रस्तुति दी गई। देखो मेरे हाथ की लकीरें गाना प्रस्तुत किया गया। तबला एवं की-बोर्ड के माध्यम से बैतूल के आदिवासी लोकगीतों को तालबद्ध एवं सूरबद्ध किया गया। नाट्क जंगल सत्याग्रह के माध्यम से 1930 का जंगल सत्याग्रह दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ा। वहीं मूक अभिनय के माध्यम से एक सैनिक के संपूर्ण जीवन को दर्शाया गया। बैतूल की जनजातियों में प्रसिद्ध ढोल पर स्कूल के छात्रों द्वारा एक से बढ़कर एक ताल के साथ लोको को थिरकने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के माध्यम से शरीरिक दक्षता का सफल मंचन किया गया। कार्यक्रम के अंत में पूरा बैतूल का संपूर्ण इतिहास गीत बैतूल हमारा प्यारा है के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। पूरे कार्यक्रम को सफल संयोजन उद्घोषकों द्वारा किया गया, पूरे कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि पौराणिक बैतूल के वर्णन से लेकर आधुनिक बैतूल तक का वर्णन मंच संचालन के द्वारा किया गया। जिसमें रंगेश, राशि, साक्षी, मानसी, आयुष,महेश द्वारा बैतूल के बारे में बहुत ही रोचक जानकारियां प्रदान की गई। अंत में प्राचार्य शंकर जगदल द्वारा आभार व्यक्त किया। दो दिवसीय आयोजनों के सूत्रधार में शिवशंकर मालवीय, (रंगकर्मी) नेताराम रावत, संगीत आचार्य अखिलेश जैन, तबला वादक बलिराम धोटे, की-बोर्ड मास्टर देवेन्द्र ठाकुर, कराटे मास्टर शहीद खान, योगाचार्य, रामनारायण मोखड़े, पंकज नागले एवं अमित सोनी एवं समस्त स्टाफ का सहयोग सराहनीय रहा। इस सफल आयोजन के लिए स्कूल के छात्र एवं छात्राओं के उ”ावल भविष्य की कामना कौशिक डागा ने की।