बैतूल। मानव अधिकार आयोग एवं कलेक्टर बैतूल को शिक्षक सोहनलाल राठौर ने शिकायत पत्र भेजकर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बैतूल की लापरवाहीपूर्ण कार्यपद्धति से अवगत कराया। उन्होने पत्र में कहा है कि सहायक आयुक्त बैतूल की कार्य शैली से उन्होने सूचना के अधिकार अधिनियम को मजाक बना दिया है। आवेदक को बार-बार तारीख देने के बाद बार-बार बुलाया जाता है फिर लुभावने आदेश देकर गुमराह कर दिया जाता है। अधिनस्थ अधिकारी इनके आदेश का पालन नहीं करते हैं क्योंकि आदेश देने के बाद आदेश का पालन नहीं करने वाले अधिकारी पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जाती है।
आवेदक आवेदन से आदेश होने तक तीन-तीन आदेश देने के बाद तक अनावश्यक रूप से परेशान होता रहा, पर उसे चाही गई जानकारी 9 माह पश्चात भी आज पर्यन्त तक नहीं मिली। पत्र में कहा गया है कि शासन की स्थानांतरण नीति का भेदभाव पूर्ण तरीके से क्रियान्वयन करते है कुछ कर्मचारियों को कार्यालय से रिलिव कर दिया जाता है कुछ को कार्यालय में सरंक्षण देकर अपने पास ही रहने दिया जाता है। शासन के आदेशानुसार 29 कर्मचारियों के स्थानंतारण किए गए उनमें से राजु सोनारे सहायक ग्रेड-2 का स्थानांतरण प्रशासकीय कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास बैतूल से कार्यालय जनपद पंचायत बैतूल किया था परन्तु उनको आज तक सहायक आयुक्त कार्यालय से रिलीव नहीं किया।
शिक्षक जीपीएफ की राशि यदि अपने तथा अपने परिवार के इलाज के लिए आकस्मिक लेना चाहता है तो उनके अधिनस्थ अधिकारी समय पर भुगतान नहीं किया जाता तो उसकी जांच की जिम्मेदारी कलेक्टर कार्यालय द्वारा सहायक आयुक्त महोदय को सौंपने पर उस आहरण अधिकारी की जांच न कर उन्हें सहायक आयुक्त बैतूल संरक्षण प्रदान करते है भले ही सहायक आयुक्त को लगातार कलेक्टर कार्यालय से पांच -पांच पत्रों को जारी कर जांच प्रतिवेदन मांग लिया गया हो। परन्तु आज दिनांक तक सहायक आयुक्त बैतूल ने कलेक्टर कार्यालय बैतूल के निर्देशों की लगातार अवहेलना ही की है। जीपीएफ की राशि समय पर भुगतान नहीं करने के संबंध में डीके शर्मा विकासखंड शिक्षा अधिकारी चिचोली और प्रभारी खंड शिक्षा अधिकारी शाहपुर की कलेक्टर बैतूल को शिकायत की गयी थी, जिसकी जांच 14 अगस्त से लंबित है।
आवेदन की प्रति मेल के साथ अटैच है