बैतूल। जिले के पंचायत अधिकारी धृतराष्ट्र से बढ़कर है जो सुनते भी नहीं है और देखते, बोलते भी नहीं है। जिला पंचायत सीईओ कब तक दोषी पंचायत सचिव को ठोस सबूत की आड़ में बचाते रहेंगे? जिला पंचायत भी पंचायत सचिव के काले कारनामों में सहयोगी तो नहीं हैं क्योंकि पंचायत के सचिव के काले कारनामें जिला पंचायत के सामने आने के बाद भी उनके विरूद्ध कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं कर दोषी पंचायत सचिव को अभयदान दिया जाता है। पीडि़त लोगों के साथ अन्याय किया जाता है। उक्त आरोप शिक्षक सोहनलाल राठौर ने जिला पंचायत सीईओ बैतूल को पत्र के माध्यम से लगाये हैं।
गौरतलब है कि पहला पत्र श्री राठौर ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी को 20 अक्टुबर 2015 को, दूसरा स्मृति पत्र 19 नवम्बर 2015 को एवं कार्यवाही नहीं होने के कारण तीसरा पत्र जनसुनवाई में कलेक्टर बैतूल को 29 दिसम्बर 2015 व चौथा पत्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी को 01/01/2016 को दिया था। श्री राठौर ने कहा कि अगस्त 2011 की ग्राम सभा में पंचायत सचिव पातरी के लक्ष्मण मवासे के द्वारा पूरी पंचायत में अपना आतंक फैला कर नोडल अधिकारी एवं अन्य ग्राम सभा के कर्मचारी की अनुपस्थिति में अपने निश्चित किए गए नौ प्रस्ताव जो अपने घर में तैयार कर पारित कर लिए गए थे ग्राम सभा के सामने ग्रामीणों से एक भी प्रस्तावों पर चर्चा नहीं की , मात्र ग्राम सभा स्थान पर कुछ ग्रामीणों को बुलाकर दिखावे के रूप में उनसे ग्रामसभा बैठक की कार्यवाही के नाम पर हस्ताक्षर व अंगूठा लगाने की कार्यवाही मात्र की गयी।
इन प्रस्तावों से पंचायत में कार्यरत कर्मचारीगणों को भारी क्षति पहुचायी गयी। खंड अधिकारी की जांच में यह सब स्पष्ट हो गया की ग्राम सभा में भारी अनियमितता पंचायत सचिव के द्वारा की गयी। जनपद पंचाचत भीमपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन जिला पंचायत को अपने कार्यालयीन पत्र कमांक 27/ज.प./ग्रा. पंचायत सचिव/स्था./2015/1399 भीमपुर दिनांक 31 अगस्त 2015 मय जांच प्रतिवेदन भेजा है लेकिन जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी चार माह बाद भी ठोस सबूतों का ही इंतजार कर रहें हैं। देखना यह कि इंतजार कब तक समाप्त होता है? कब संबंधित सचिव पर कार्यवाही होती है।