झल्लार। भगवान के प्रगट होने का कोई स्थान निश्चित नहीं होता, जब स”ो भक्त वसुदेव जिसके भीतर-बाहर देव बस देव हो जो देवकी दास, देव की ध्यान, देव का ही चिंतन करे तो भगवान केवल मंदीर या तीर्थ में ही नहीं कारागृह में भी आधी रात को प्रगट हो जाते हैं।
उक्त उद्गार म’छी देव में गुप्त नवरात्र के अवसर पर संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक पंडित सुखदेव शर्मा द्वारा किये गये। श्री शर्मा ने कहा कि बस हमारा मन में ईश्वर के प्रति स”ाी चाहत हो, तन गोकुल बने फिर स”ाीदानंद अर्थात आनंद ही आनंद है। आयोजक कन्हैयालाल बाबा ने सभी से कथा लाभ लेने का आग्रह किया है।