बैतूल। विश्व हिन्दु परिषद बैतूल द्वारा कलार समाज मंगल भवन में रविदास जयंती मनाई। इस अवसर पर जिला मंत्री महेन्द्र साहू ने श्री साहू संत रविदास को दूरदृष्टा बताते हुए कहा कि भारत में आज छुआछूत जैसी कुरूतीयों से निपटने के लिए रविदास के विचारों को अपनाना होगा। श्री साहू ने बताया कि उनके जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं से समय तथा वचन के पालन सम्बन्धी उनके गुणों का ज्ञान मिलता है। एक बार एक पर्व के अवसर पर पड़ोस के लोग गंगा-स्नान के लिए जा रहे थे।
रैदास के शिष्यों में से एक ने उनसे भी चलने का आग्रह किया तो वे बोले, गंगा-स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किन्तु एक व्यक्ति को आज ही जूते बनाकर देने का मैंने वचन दे रखा है। यदि आज मैं जूते नहीं दे सका तो वचन भंग होगा। गंगा स्नान के लिए जाने पर मन यहाँ लगा रहेगा तो पुण्य कैसे प्राप्त होगा? मन जो काम करने के लिए अन्त:करण से तैयार हो वही काम करना उचित है।
मन सही है तो इस कठौती के जल में ही गंगास्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है। कहा जाता है कि इस प्रकार के व्यवहार के बाद से ही कहावत प्रचलित हो गयी कि – मन चंगा तो कठौती में गंगा। श्री साहू ने बताया कि विहिप सप्ताह भर रविदास जयंती मनायेगी। नगर अध्यक्ष रूपेश यादव, जिला सहसंयोजक दिलीप यादव, नगर महाविद्यालय प्रमुख सागर शेषकर, रितेश चौकीकर, मुकेश माणिक, वार्ड अध्यक्ष विजय बिंझाड़ मेघश्याम साहू, मुकेश वरवड़े, यशवंत सूर्यवंशी, पंडित यशवंत शुक्ला, लोकेश साहू आदि उपस्थित थे।
धर्मप्रसार विभाग ने मनाई रविदास जयंती
बैतूल। विश्व हिन्दु परिषद धर्मप्रसार विभाग ने भयावाड़ी में प्रांत सह धर्म प्रसार प्रमुख भूपेन्द्र पंवार के आतिथ्य में रविदास जयंती मनाई। इस अवसर पर भूपेन्द्र पंवार ने कहा कि रैदास के समय में स्वामी रामानन्द काशी के बहुत प्रसिद्ध प्रतिष्ठित सन्त थे। रैदास उनकी शिष्य-मण्डली के महत्त्वपूर्ण सदस्य थे। प्रारम्भ में ही रैदास बहुत परोपकारी तथा दयालु थे और दूसरों की सहायता करना उनका स्वभाव बन गया था।
साधु-सन्तों की सहायता करने में उनको विशेष सुख का अनुभव होता था। वह उन्हें प्राय: मूल्य लिये बिना जूते भेंट कर दिया करते थे। उनके स्वभाव के कारण उनके माता-पिता उनसे अप्रसन्न रहते थे। कुछ समय बाद उन्होंने रैदास तथा उनकी पत्नी को अपने घर से अलग कर दिया। रैदास पड़ोस में ही अपने लिए एक अलग झोपड़ी बनाकर तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे और शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे। कहते हैं, ये अनपढ़ थे, परन्तु उनके लिखे साहित्य को आज भी पढ़ा जाता है यही उनकी विशेषता है।
इस मौके पर जिला प्रमुख प्रयाग नावंगे, जिला सत्संग प्रमुख नोखेराम साहू, तुलसीराम साहू, गुणवंत लिखितकर, विभाग संयोजिका नारी शक्ति मंच मंजु उपासे, वंदना लिखितकर, सुशीला मालवी, लक्ष्मी धुर्वे, शांति खातरकर, अनिता देशमुख, ललीता बंजारे, बाली बंजारे, सोनम धोटे, राधिका देशमुख, अनिता देशमुख, प्रमीला धोटे, शांता बाई, दिपक राठौर आदि उपस्थित थे।