राहत इंदौरी कॉलेज के दिनों में फुटबॉल और हॉकी के अच्छे खिलाड़ी थे। शुरूआत में चित्रकारी थे.. बात कुछ अजीब सी लग सकती है किन्तु जीनियस लोगों के साथ शायद यह आम बात है। पंडित रविशंकर ने अपने जीवन की शुरूआत एक नृतक के रूप में की थी,मोहम्मद अजहरउद्दिन यूनिवर्सिटी हॉकी खिलाड़ी रहे, इंग्लैड के ऑलराऊंडर फ्ंिलटाप सन्यास के बाद वे प्रोफेशनल बाक्सिंग में स्थापित हो गये। राहत इंदौरी ने चित्रकारी भी करते थे। गोया की एक विद्या में परंगत होने के लिए भी मल्टीडामेंसनल होना जरूरी है। राहत का जन्म इंदौर में एक अर्थिक रूप से मामूली हैसियत वाले परिवार में हुआ, जैसा की विधान रहा है कि धन संपन्नता इस तरह के क्रिएटिव मुवमेंट में बाधा रहती है। क्या राहत का जन्म धनाड्य परिवार में होता तब क्या वे ऐसे शायर हो सकते थे? विगत तीन दशकों में मूल्यों का बहुत तेजी से स्विंग हुआ है ऐसे में अपनी लेखन से लोगों के बीच सतत बने रहने का माद्दा एक धरती पकड़ पहलवान शायर राहत ही कर सकता है।
आज कल कुश्तीयां के गद्दे अलग आ गये हैं, अभी भी छोटे शहरों और गावों में मिट्टी पर ही कुश्ती खेली जाती है। इसमें पहलवान की खासियत यह होती है कि वो चित नहीं होता मिट्टी में जमा रहता है। राहत विचारों और मूल्य के तेजी से बदलते युग में जमें हैं। राहत की लेखनी का सबसे अद्भुत कोण यह है कि वो एक ही साथ विनम्रता और आक्रमकता का बोध कराती है। राहत अपने एक शेर में कहते है कि खाक मे यु ना मिला जब्त की तौहिन ना कर,ये वो आसुं है जो दुनिया को बहा ले जाऐं-हम भी प्यासे है ये अहसास तो हो साकी को,खाली शीशे ही हवा में उछाले जाऐं।। यहां पर खाली शीशे ही हवा में उछाले जाऐं क्या लचर व्यवस्था के विरूद्ध आंदोलित नहीं करता है? राहत ने फिल्मों में विधु विनोद चौपड़ा के साथ बहुत काम किया, और फिल्म की जरूरत के मुताबिक गीता को भी रचा।
फिल्म करीब का गीत चोरी में भी है मजा बेहद उम्दा गीत, वहीं खुद्दार का तुमसा कोई प्यारा एक औसत गीत था। व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि राहत की शायरी की गहराई के मुताबिक उनकी फिल्मों के गीतों के लेखन में कुछ कसर रह गई थी। राहत ने फिल्मों में जो कुछ भी लिखा उससे कहीं बेहतर लिखे जाने के वो योग्य है। दरअसल फिल्मों के लेखन में कुछ दायरे होते है,जिन में बंध कर ही जौहर दिखाने होते हैं। उन्मुक्त शायर बंधनों में असहज हो सकते हैं। राहत की किताब ‘चांद पागल है’ है को समीक्षकों द्वारा सर्वोच्च 5 सितारा (फाईव स्टार रेटिंग) दी गई थी। सबके अपने अपने अंदाज होते है और कलम के साथ साथ शायरी को सुनने के अंदाज से भी शायर जाना जाता है। राहत के समकालीन मुनव्वर राणा मुशायरों में धैर्यता से शायरी करते है, वहीं राहत खास शब्दों पर खास फोर्स के साथ, सर को हिला कर विशेष अंदाज में अपनी शायरी करते हैं, लोग राहत की कलम के ही नहीं ब्लकी उनके अंदाज के भी कायल है।
शब्द संस्था अभी तक संगीत पर आधारित कार्यक्रम ही प्रमुखता से करती रही है। इस खाकसार ने शब्द संस्था के सभी कार्यक्रमों को कवर किया है। शब्द संस्था की विशेषता उनकी निरंतरता है।
फैक्ट फाईल :- बैतूल में बहुत लगभग बीस वर्ष पहले प्रयास नामक संस्था ने बैतूल में अब तक का सबसे भव्य और शानदार कवि सम्मेलन करवाया है।
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शब्द का सफर
2006-ओ०पी०नैयर
2007- साहिर लुधयानवी
2008 -शैलेन्द्र
2009 -हसरत जयपूरी
2011- मजरूह सुलतानपुरी
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फिल्म गीत
प्रेम शक्ति – मेरे ख्याल
सर – आज हमने दिल का हर किस्सा
जनम – दिल जिगर के
खुद्दार – तुमसा कोई प्यारा,कोई मासूम
खुद्दार – रात क्या मांगे
मर्डर – दिल को हजार बार रोका
मुन्ना भाई एमबीबीएस – एम बोले तो मास्टर
मिशन कशमीर – बूमरो बूमरो
मिनाक्षी – ये रिश्ता क्या कहलाता है
करीब – चोरी चोरी जब नजरे मिली
इश्क – देखो देखो जानम हम
दरार – तेरी आंखो का दिवाना
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अवार्ड:-मोहम्मद. अली ताज पुरस्कार, सांसद उर्दू अकादमी, भोपाल – मौलाना मोहम्मद अली जौहर पुरस्कार – जामिया पुराने लडक़ों एसोसिएशन, नई दिल्ली – अदीब इंटरनेशनल अवार्ड – साहिर सांस्कृतिक अकादमी, लुधियाना – हक बनारसी पुरस्कार – अंजुमन नवा ई हक, बनारस – साहित्य सारस्वत, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग – इंदिरा गांधी पुरस्कार, नेशनल फेडरेशन हल्द्वानी – प्रदेश रत्न सम्मान, हिन्दी साहित्य परिषद, भोपाल – राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, भारतीय सांस्कृतिक सोसायटी, नई दिल्ली – उत्तर प्रदेश हिन्दी उर्दू साहित्य पुरस्कार, भारत सरकार. राजीव गांधी साहित्य पुरस्कार, हम सब एक हैं, भोपाल – उर्दू काव्य, सामाजिक शैक्षिक और कल्याण एसोसिएशन (सेवा), मुंबई में उत्कृष्टता के पुरस्कार – उज्जैन – उत्तर प्रदेश, हैदर पुरस्कार, शमीम मेमन मेमोरियल फाउंडेशन, वाराणसी -शकील पुरस्कार, जन चेतना समिति, बदायूं -निशावर वाहिदी पुरस्कार, नेशनल बुक किराया ट्रस्ट, कानपुर – नेताजी सुभाष अलंकरण , सुभाष मंच, इंदौर – डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार, दिल्ली सरकार. , नई दिल्ली – निशान ई एजाज, डा. शकील वेलफेयर एजुकेशनल सोसायटी, बरेली – कैफी आजमी पुरस्कार, भारतीय राष्ट्रीय एकता परिषद, वाराणसी – उर्दू पुरस्कार, झांसी – मिर्जा गालिब पुरस्कार, झांसी
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सफर की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चेले चलों की जहां तक आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गई मंजिल
मजा तो जब है कि पैरों में कुछ थकान मिले
वो शख्स मुझ को कोई जालसाज लगता है
तुम उस को दोस्त समझते हो फिर भी ध्यान रहे
मुझे जमीन की गहराईयों ने दाबा लिया
मै चाहता था मेरे सर पर आसमां रहे
अब अपने बीच मरासिम नहीं अदावत है
मगर ये बात हमारे ही दरमिंया रहे।
वो एक सवाल है फिर उस का सामना होगा
दुआ करो की सलामत मेरी जुबां रहे।
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दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों की भी राय ली जाये |
मौत का जहर है फिजाओं में, अब कहां से सांस ली जाए||
बस इसी सोच में हूं डूबा हुआ, ये नदीं कैसे पार की जाए|
मेरी मर्जी के जख्म भरने लगे, आज फिर कोई भूल की जाए||
बोतलें खोल के तो पी बरसों,आज दिल खोल के भी पी जाए ||
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लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रोशनी वाले मेरे नाम सेजलते क्यों हैं
नींद से मेरा ताअल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं
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गुलाब,ख्याब,दवा,जहर,जाम क्या क्या है
मैं आ गया हूं बता इंतजाम क्या क्या है
फकीर,शाह,कलंदर,इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है
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इंतजमात नये सिरे से संभाले जाऐं
जितने कमजर्फ हैं महफिल से निकाले जाऐं
मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन
जब मजा है तेरे आंगन में उजाला जाऐ
गम सलामत है तो पीते ही रहेंगे लेकिन
पहले मैखाने की हालत संभालते जाऐं
खाली वक्त में कहीं बैठ के रो ले यारो
फुरसत है तो समुंदर ही खंगाले जाऐं
खाक मे यु ना मिला जब्त की तौहिन ना कर
ये वो आसुं है जो दुनिया को बहा ले जाऐं
हम भी प्यासे है ये अहसास तो हो साकी को
खाली शीशे ही हवा में उछाले जाऐं
आओ शहर में नये दोस्त बनाये राहत
आस्तीनों में चलो सांप ही पाले जाऐं।
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