बैतूल। आयुक्त पुरातत्व संग्रहालय एवं अभिलेखागार बान गंगा भोपाल के निर्देशानुसार बैतूल में ताप्ती नदी एवं नर्मदा नदी घाटी का सांस्कृति इतिहास पर एकदिवसीय शोध संगोष्ठी का आयोजन आयोजन आज किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन बैतूल कलेक्टर बी चन्द्रशेखर द्वारा किया गया। इस अवसर पर अतिथि के रूप में विधायक आमला चैतराम मानेकर, नगर पालिका अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र देशमुख,कार्यक्रम प्रभारी मन्नांसिंह टाटीसार तकनीकी सहायक लेखन, कार्यक्रम समंवयक सुखदेव डोंगरे, डॉ डीके माथुर पुरातत्ववेत्ता होशंगाबाद संभाग,डॉ आरके अहिरवार विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन उपस्थित रहे।
इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं गणमान्य नागरिकों ने शोध पत्रों का वाचन किया गया जिसमें डॉ आरके अहिरवार विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ,डॉ एसके पांडे,डॉ शिवाकांत द्विवेदी जिवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, डॉ डीके माथूर भोपाल, डॉ व्यास भोपाल, डॉ रमेश यादव जबलपुर, डॉ विजेता चौबे जेएच बैतूल, बीके लोखंडे भोपाल, डॉ आरके रसोलिया जबलपुर, डॉ रमाकांत जोशी बैतूल, डॉ अनिता सोनी, डॉ अमित सातनकर, राजेश दीक्षित, रामकिशोर पवांर, डॉ पीआर सोनारे, रामशंकर आवलेकर, झिंगुजी वरवड़े, डॉ संतोष, डॉ प्रगति डोंगरे, डॉ केके चौबे ने शोध पत्र का वाचन किया।
डॉ रामकुमार अहिरवार ने कहा कि ताप्ती एवं नर्मदा के किनारे वैदिक, बौद्ध एवं जैन संस्कृति का विकास हुआ है, मानव की उत्पत्ति भी नदी के किनारे हुई है। डॉ एचके पांडे पूर्व विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग जेएच कॉलेज ने बताया कि बैतूल में म्युजियम मृतप्राय पड़ा हुआ है,इसे पुर्नजीवित करने के प्रयास करने होंगे, ताकि बैतूल की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर बचाई जा सके। इस संगोष्ठी पर सभी ने एक मत होकर माना की ताप्ती पर शोध बहुत कम हुए है और ताप्ती पर शोध की गंभीरता से दरकार है, बैतूल कलेक्टर बी चन्द्रशेखर ने आश्वासन दिया है कि उक्त मुद्दे पर शासन गंभीरता से प्रयास करेगा। आज ही के दिन इसी तारतम्य में साथ ही तीन दिवसीय बौद्ध स्मारकों के छायाचित्र पर प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया गया। यह प्रदर्शनी आज दिनांक 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर तक डॉ अम्बेडकर मांगलिक भवन कारगील चौक, सदर बैतूल में आयोजित की जावेगी। सुखदेव डोंगरे ने सभी से सपरिवार आकर इस प्रर्दशनी को देखने का अनुरोध किया है।