बैतूल। तहसील घोड़ाडोंगरी के ग्राम सालीवाड़ा के निर्धन किसान सायबा उर्फ साबेलाल वल्द जिराती का ग्राम सालीवाड़ा स्थित खेत में से नहर बनने से उसके पास जो नाममात्र की जमीन थी वह भी अब किसी काम की नहीं बची तो इस अनुसूचित जनजाति के असहाय कृषक को अपने परिवार को पालने के लिए पड़ोसी जिला हरदा की तहसील टिमरनी के ग्राम बारजा में मजदूरी करनी पड़ रही है। सन् 2012 में दिपावली के बाद इसे भूअर्जन बैतूल से जारी चैक नंबर 813274 राशि 13 हजार 2 सौ 97 रूपये का मिला था। जिसे वह लेकर बैंक गया तो बैंक ने चैक यह कहकर नहीं लिया की चैक की उम्र खत्म हो गयी है। जिस पर 10 दिसम्बर 2012 को पहली बार इस किसान ने कलेक्टर बैतूल को आवेदन दिया और 10 दिसम्बर 2012 को ही वह असल चैक के साथ ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र तथा अपने परिचय पत्र की छायाप्रति के साथ अपना शपथ पत्र भूअर्जन शाखा बैतूल में जमा कर दिया।
3 माह तक कोई कार्यवाही नहीं होते देख किसान ने कलेक्टर महोदय बैतूल को जनसुनवाई में 5 मार्च 2013 को पुन: आवेदन दिया जिसका पंजीयन नंबर 12362 था। परन्तु जनसुनवाई में भी कोई निकाल नहीं हुआ। तब इस मजबूर किसान ने 16 मार्च 2013 को मुख्यमंत्री को रजिस्ट्री डाक से आवेदन भिजवाया लेकिन 6 माह तक कोई कार्यवाही नहीं होने से 10 जून 2014 को अपर कलेक्टर बैतूल के समक्ष आवेदन दिया। जिसके बाद लगातार यह किसान बैतूल में संबंधित विभागों में चक्कर लगा-लगा कर अपनी चप्पलें घिस रहा है। अभी अंतिम बार 6 अप्रैल 2016 को कलेक्टर बैतूल को आवेदन पत्र पेश किया गया है। इस कृषक से मजदूर बने व्यक्ति विगत 4 वर्षो में इसकी जायज मांगें किसी ने भी नहीं सुनी है। इसके पास बारजा टिमरनी से बैतूल आने का किराया जुटाने की तक हिम्मत नहीं है। ऐसा कृषक ने आवेदन में बताया है। कृषक से मजदूर बने इसकी आर्थिक हालात से बेहद कमजोर है जिसे देखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मदन हिरे इसकी नि:शुल्क सहायता के लिए आगे आये हैं।