बैतूल। नागपुर हाइवे स्थित वडोरा क्षेत्र भागवत ज्ञान सप्ताह में द्वितीय दिन ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए भागवत भूषण आचार्य पुष्कर परसाई जी ने कहा कि उत्तानपात का अर्थ होता है वह व्यक्ति जिसे अपनी प्रतिष्ठा से प्रेम हो ।हम सब में भी एक उत्तानुपात है जिसकी दो पत्निया है एक सुरुचि अर्थात रुचिकर दूसरी सुनीति अर्थात नीतियुक्त।किन्तु ध्रुव भक्त वहीँ होते है जहाँ नीति अर्थात धर्म का सम्मान होता है है।हमारा धर्म तो सबका सम्मान करना सिखाता है रामचरित्र मानस का उदाहरण देते हुए कहा कि वनवास जाते समय कौशल्या माता जी ने राम से कह दिया कि बेटा यदि पिता ने वन गमन का आदेश दिया हो तो मेरा आदेश है कि वन मत जाना क्योकि माँ का महत्त्व पिता से ‘यादा है किन्तु यदि माता कैकेय ने आदेश दिया हो तो अवश्य ही वन जाना क्योकि उनका अधिकार तुमपर मुझसे भी ‘यादा है इसके पश्चात् भागवतआचार्य पुष्कर जी ने कहा कि यदि ईश्वर का भक्त बनने का मन में दृढ़ निश्चय मन में हो जाए तो जिस प्रकार ध्रुव को नारद जी मिले वैसे ही धर्म मार्ग में कोई न कोई धर्म सारथि मिल ही जाता है ।
बस आवश्यकता स’चे मन से प्रयास करने की । इसके पूर्व आचार्य पुष्कर ने कलयुग के प्रभाव व उसके महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैसे तो चारों युग में कलयुग का चतुर्थ स्थान है क्योंकि इस युग में यत्र तत्र पाप होता है किन्तु भगवान् ने इस कलयुग में एक सुविधा दे रखी है कि ‘यादा कर्मकाण्ड उपासना आदि की इस युग में आवश्यकता नहीं केवल भगवन्नाम स्मरण मात्र से ही व्यक्ति सद्गति प्राप्त कर सकता है । कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगो ने उपस्थित हो कर कथा श्रवण की। आयोजक मालवीय परिवार ने सभी से कथा लाभ लेने की अपील की है