बैतूल। विश्व हिन्दु परिषद धर्म प्रसार विभाग की नारी शक्ति मंच द्वारा संजय कॉलोनी बैतूल में सीता नवमी मनाई गई। जिसमें नारी शक्ति मंच की जिला संयाजिका मंजु उपासे ने बताया कि सीता नवमी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन सीता का प्राकट्य हुआ था। इस पर्व को जानकी नवमी भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को भी सीता कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम सीता रखा गया। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं।
मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का फल तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। इस दिन व्रत करने का विशेष महत्व है। इस अवसर पर सुशिला मालवी, उषा सोनपुरे, कमला सलाम, गीता पाटीदार, प्रेमकला झरबड़े, उषा सातनकर, कमला सोनारे, शीला सोनपुरे, अनुसुया गावंडे, भूपेन्द्र पवार, तुलसी साहू आदि उपस्थित थे। इसी तारतम्य में ग्राम भयावाड़ी में भी सीता नवमी बनाई गई जिसमें वंदना लिखितकर, बैतूल ग्रामीण संयोजिका लक्ष्मी धुर्वे, सविता झाड़े, कविता बोरकड़े, उर्मिला माली, हेमलता बडोनिया, वनीता उइके, सुमरती धुर्वे, चन्द्रकला धुर्वे आदि उपस्थित थी।