भोगीतेढ़ा में डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया
बैतूल। ग्राम भोगीतेढ़ा में बैतूल ग्रामीण मंडल सहसंयोजक शिवपाल गोचरे के निवास पर सभी केन्द्रों से पधारे कार्यकर्ताओं एवं बैतूल ग्रामीण महामंत्री इंद्रपाल पुंडे ने डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के मौके पर उनके छायाचित्र पर दीप प्र”ावलित कर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर इन्द्रपाल पुंडे ने कहा कि श्री मुखर्जी 33 वर्ष की उम्र में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति रहे, वे जनसंघ के अध्यक्ष रहे और जनसंघ को राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त हुआ। शिवपाल गोचरे ने कहा कि डॉ॰ मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा।
उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजऱबन्द कर लिया गया। उनकी याद में ग्राम समिति अध्यक्ष रामकि शोर पठाड़े द्वारा पौधारोपण किया गया। कार्यक्रम में दुलीचंद ठाकरे, सुदामा सिंह, कुवंर लाल संगारे, लोकेश कालभोर, दशरथ कोड़ले, किशन महाजन, नारायण मालवीय, साहब लाला कोकाटे, शंकर गाडगे, जितेन्द्र सिंह, गुनीराम ठाकरे, श्यामराव पवार, महेन्द्र चंदेल, लल्लु कापसे, शिव इंगरे, दिनेश महाले आदि ने सम्मलित थे।