बैतूल। जिसके अनुसार ब्रह्माण में विलीनअसीमित उर्जा जिसे हम साधारण से नाग ईश्वर, परमेश्वर, भगवान, खुदा आदि से जाना जाता है जो असीमित और अपरिकल्पनीय उर्जा है। उस शक्ति के अंश व विचारों को हम बिना मध्यस्थ के सीधे समझ व ग्रहण नहीं कर सकते हैं क्योंकि हम संसारिक हैं वास्तविकता हमारे सामने होते हुए भी उसे देख नहीं पाते है। परन्तु एक मीडिएटर होता है जो हमारा संवाद जरूर करवाता है। आरडी पब्लिक स्कूल की मनस्वी गायकवाड़, नेत्र आहूजा, गरिमा मोहकर, शिवानी पंवार, वेदांत अग्रवाल, पियुष गजुरकर ने मिलकर युवा चित्रकार व कला गुरू श्रेणिक जैन के मार्गदर्शन में इसी को लेकर दी मिडिएटर थीम पर पेंटिग बनाई है। पेंटिंग में ब्रह्माण में एक ओर असीमित उर्जा को दिखाया गया है और मध्य में एक महापुरूष परमात्मा को दिखाया गया है जिसकी उत्पत्ति मानव कल्याण के लिए हुई है या उसने अपना जीवन मानव कल्याण के लिए हुई है या उसने अपना जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है। एक और नीचे कोने में कुछ मनुष्याकृति है जो ज्ञान विहीन है।
पेंटिग के मध्य में जो महापुरूष या परमात्मा है जो किसी भी रूप में हो सकता है वह मध्यस्थ का कार्य करता है तथा कुछ अलौकिक शक्तिधारी भी है। मध्यस्थ को हम किसी विशेष नाम व आकृति से जानते हैं। यह मध्यस्थ उस परम शक्ति से मनुष्य का जोडऩे का कार्य करता है और परमशक्ति के ज्ञान व उद्देश्य जैसी उर्जा जिसे पेंटिग में तरंगों के रूप में स्पष्ट दिखा जा सकता है को मनुष्यों में बिखरता है ताकि हम अपना जीवन बेहतर कर सकें।