बैतूल। आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज एवं मुनि संघ पंचकल्याणक एवं गजरथ महामहोत्सव में धर्म की गंगा प्रवाहित कर रहें हैं। सैंकड़ों धर्मावलम्बीयों के उपस्थिति में दैनिक कार्यक्रम प्रतिमाओं का अभिषेक, शांति धारा, नित्य पूजन, याग मंडल विधान एवं संस्कार विधि आदि कार्यक्रम नियमित रूप से हो रहें हैं। शनिवार को आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि पत्थर कितना ही बड़ा हो उसका वजन ही बढ़ता है परन्तु हीरा छोटा एवं कम वजन का होने के बाद भी वह बहुमूल्य होता है। उन्होने कहा कि सभी को सम्यक दृष्टि रखकर आनंद लेना चाहिए ना की कसाय रखकर द्वेष रखना चाहिए। जिस तरह गाय के बछड़े को अपनी मां का आंचल दुनिया में सबसे सर्वश्रेष्ठ लगता है और उसका ध्यान वहीं केंद्रित रहता है। उसी तरह व्यक्ति को भी भगवान से जुडऩे के लिए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। जिस तरह कोहरे में आगे का कुछ भी दिखाई नहीं देता उसी तरह मिथ्यात्व के कोहरे को ओड़े हुए इंसान को अपने स्वयं की आत्मा भी दिखाई नहीं देती। जिस तरह अहंकारी एवं अज्ञानी व्यक्ति ठोकर खाने के बाद दूसरों को रास्ता बताता वहीं ज्ञानी व्यक्ति ठोकर खाए बिना दूसरों को उचित मार्ग बताता है। अंत में उन्होने कहा कि जो है सो है इसे स्वीकार करना चाहिए।
आज जन्म कल्याणक, निकलेगी शोभा यात्रा
इस तारतम्य में आज 22 जनवरी, रविवार को गर्भ कल्याणक उत्तरार्ध (सीप में मोती) के अंतर्गत प्रात: 6 बजे अभिषेक, शांति धारा, नित्य पूजन, यागमंडल विधान, प्रात: 9 बजे आचार्य श्री के प्रवचन, दोपहर 1 बजे जन्म कल्याणक शोभा यात्रा, जन्म कल्याणक संस्कार विधि आदि कार्यक्रम संपन्न किए जाएंगे। रात्रि में 8 बजे से सांस्कृति कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। बैतूल जिले में पहली बार होने जा रहे इस धार्मिक आयोजन में सकल जैन समाज ने सभी धर्म प्रेमी जनता से उपस्थित होकर धर्म लाभ लेने का आग्रह किया है।