बैतूल। वर्तमान में पारंपरिक तरीके से ऊर्जा की आपूर्ति सम्भव नहीं है। देश में कोयले और गैस के भंडार सीमित हैं तथा जीवाश्म ईंधन प्रचलित बिजलीघरों से उत्पन्न होने वाली ग्रीन हाउस गैसों के प्रति विश्व की बढ़ती चिन्ताओं के कारण आने वाले समय में परमाणु ऊर्जा को प्रोत्साहित करना तथा प्रयोग में लाना अति आवश्यक है। यह बात कार्यक्रम संचालक संदीप पाल ने न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया द्वारा (भविष्य में ऊर्जा का नया विकल्प) जन जागरूकता कार्यक्रम के दौरान कही। जो कि आज सम्पन्न हुआ। यह दो दिवसीय यह कार्यक्रम जेएच कॉलेज बैतूल में आयोजित किया गया। जबकि 30 जनवरी को विवेकानन्द विज्ञान महाविद्यालय में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। साथ ही विद्यालय, कालेज के छात्र-छात्राओं को परमाणु ऊर्जा से सम्बन्धित कॉमिक नि:शुल्क प्रदान की गई। श्री पाल ने कहा कि आज हमारा देश बिजली संकट से जूझ रहा है। देश की जनता को किस प्रकार से 24 धण्टे सस्ती बिजली उपलब्ध हो। आजादी के इतने सालों बाद भी देश में 20 से 25 प्रतिशत लोगों को अपना जीवन अन्धकार में व्यतीत करना पड़ा रहा है। इसके चलते उक्त क्षेत्रों में शिक्षा, चिकित्सा सेवा बदहाल है, उद्योग-धंधे प्रभावित हैं, लोग आर्थिक रूप से पिछड़े हुये हैं। पिछले एक दशक में भारत में ऊर्जा की मांग में कई गुना ईजाफा हुआ है, और इसे पूरा करने में केन्द्र और रा’य सरकार दोनों नाकाम रहे है। भारत के पास अभी तक 2.30 लाख टन यूरेनियम है। हम इसे कैसे इस्तेमाल करें, यह महत्वपूर्ण है। सही से करेंगे तो 500 से 1000 हजार वर्ष तक कमी नहीं होगी।
भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को दुनिया में सबसे आधुनिक तथा सुरक्षित श्रेणी में रखा जाता है, भारत का दीर्घकालीन परमाणु ऊर्जा विद्युत उत्पादन कार्यक्रम देश में उपलब्ध विशाल थोरियम भंडार पर आधारित है, तथा देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को लगभग 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं, वर्तमान में देश में 21 न्यूक्लियर पावर प्लांट हैं, जिसकी विद्युत क्षमता 5780 मेगावाट है,। जिसे 2020 तक बढ़ाकर 13000 मेगावाट करने का लक्ष्य रखा गया है। फ्रांस, जापान समेत विश्व के कई देशों में 90 प्रतिशत तक बिजली का उत्पादन परमाणु ऊर्जा से रहा है। मप्र के जबलपुर में बरगी डैम के पास परमाणु संयंत्र प्रस्तावित है। उन्होने कहा हमारे देश में परमाणु ऊर्जा को लेकर दुस्प्रचार किया जा रहा है। जो कि कताई देश हित में नही है। कहा जाता है कि परमाणु संयंत्र स्थापित होता है। वहां विकरण (रेडिशन) के चलते लोग अंधे, बहरे, मानसिक विक्रती व महिलाएं बांझपन का शिकार हो जाती हैं। जबकि ऐसा नहीं है। आज विकरण (रेडिशन) का इस्तेमाल एक्सरे, अल्ट्रासाउण्ड, सिटी स्कैन, रेडियों थेरेपी व सूई (सिरिंज), फलों का संक्रमण से बचाने तथा कैंसर समेत अन्य रोगों के रोगों के रोकथाम के लिए किया जाता है। ऐसे विकरण हमारा शत्रु नहीं मित्र है।