बैतूल दिनांक 15 जनवरी 2013
जिले को रेशम उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिये आगामी दिनों में 1500 किसानों को इस गतिविधि से जोड़ा जाएगा। सामान्य पात्र हितग्राहियों के अलावा बड़े किसानों को भी इस गतिविधि से जोडऩे के प्रयास किए जाएंगे। कलेक्टर श्री बी. चन्द्रशेखर ने शीघ्रता से पात्र हितग्राहियों का चयन कर उन्हें रेशम गतिविधि से जोडऩे के रेशम अधिकारी को निर्देश दिये हैं।
गत दिवस आयोजित बैठक में कलेक्टर ने कहा कि जिन हितग्राहियों को एकीकृत आदिवासी विकास योजना में डीजल, मोटर पंप प्रदान किये गये हैं, उन्हें प्राथमिकता से रेशम उत्पादन से जोडऩे के प्रयास किये जाएं। इसके साथ ही बीपीएल हितग्राहियों को प्राथमिकता से इस गतिविधि का लाभ दिया जाए। बैठक में जिला रेशम अधिकारी श्री लक्ष्मण लिल्होरे ने बताया कि शहतूती रेशम उद्योग एक कृषि आधारित उद्योग है। यह नगदी फसल होती है। शहतूती रेशम उद्योग से एक एकड़ जमीन में अधिकतम तीन लाख रुपये तक वार्षिक सकल आय अर्जित की जा सकती है। उन्होंने बताया कि शहतूती रेशम की प्रति दो माह के अंतराल से फसल लेकर आय प्राप्त की जा सकती है। इस फसल पर प्राकृतिक प्रकोप से नुकसान की संभावनाएं कम रहती हैं। एक बार शहतूत के पौधे लगाने पर 15 वर्ष तक पत्ती का उत्पादन किया जा सकता है। कृषकों के लिये बैकवर्ड एवं फारवर्ड लिंकेज की सुविधा मिलती है। शहतूत रोपण से छह से सात माह के पश्चात आय प्रारंभ हो जाती है।
कैसे अपनाएं रेशम उद्योग
रेशम अधिकारी श्री लिल्होरे ने बताया कि हितग्राही के पास स्वयं की निजी भूमि एवं बारहमासी सिंचाई सुविधा होना अनिवार्य है। निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन एवं भूमि का खसरा, नक्शा की नवीन कापी तथा अनुबंध अपने निकटतम रेशम कार्यालय में जमा कराएं। भूमि के सर्वेक्षण के पश्चात हितग्राही उपयुक्त पाए जाने पर रेशम उत्पादन संबंधी आगामी कार्रवाई की जाएगी।
समा. क्रमांक/42/42/01/2013