खबर है कि अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा का प्लाट का बैतूल कनेक्शन है। फिल्म की शुटिंग होशंगाबाद और भोपाल में चल रही है। बैतूल जिले के चिचोली से भीमपुर ब्लॉक के झीटूढ़ाना गांव में ब्याह कर आई अनीता बाई नर्रे ने शौचालय नहीं होने पर दो दिन में पति का घर छोड दिया था। सन् 2011 में रिपोर्टर संजय शुक्ला ने इस स्टोरी को कवर किया और उन्हें इसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित भी किया। संजय की शायद यह दूर दृष्टी ही थी जो उन्होंने इस छोटे सी दिखने वाली घटना को वृहद रूप में प्रस्तुत किया। महाभारत में संजय को सबसे रहस्मयी व्यक्ति के रूप में बताया गया है। महाभारत के युद्ध के समय भी संजय ध्रतराष्ट्र ने अपनी दृष्टि से युद्ध का सजीव चित्रण किया था। संजय व्यास मुनि ने यह दिव्य दृष्टि दी थी।
यह भी कहा जाता है जब कृष्ण गीता का उपदेश दे रहे थे तब सिर्फ अर्जुन के अलावा संजय ने भी इसे सुना था। एक स”ााई है कि एक कलाकार, लेखक या किसी भी रचनात्मक कार्य से जुड़े व्यक्ति को नहीं मालूम होता है कि उसकी रचना को क्या रिसपांस मिलेगा। कई बार कलाकार अपनी कृति को श्रेष्ठ मानकर रचना करता है और प्रतिफल उतना अ’छा नहीं मिलता है। वैसे ही शायद संजय शुक्ला ने कभी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनकी यह स्टोरी इतनी ऊंचाईयों को छू लेगी। नरेन्द्र मोदी ने शौचालय के महत्व को अ’छी तरह समझा और इसे एक अभियान का रूप दिया। अन्यथा अभी तक गांव में ग्रामीण खुले में शौच और सियायतदान सिर्फ मूंह से ही शाब्दिक शौचक्रिया करते रहे। खुले में शौच करने के लिए महिलाओं की लाईन और हाथ में लोटा देखकर विदेशी पयर्टक मजाक बनाते हैं। वही भारतीय राजनेता सामने के सच को नकार कर विदेशों में अज्ञात टाईप के प्रबंधन सीखने जाते हैं।
दुर्भाग्य से देश की प्रगति के मापदंड सनसेक्स और जीडीपी रही है। भारतीय इस मामले में घोर दोहरे सिद्धांत अपनाते हैं। एक ओर जहां गांव में बहु हमेशा घूंघट में चाहिए वहीं दूसरी ओर उसे शौच के लिए खुले में भेजने से गूरेज नहीं करते। टे्रन की जनरल बोगियों और सार्वजनिक शौचालयों में पानी की व्यवस्था होने के बाद भी पानी का इस्तमाल नहीं किया जाता है। दरअसल भारत चटोरो का देश रहा है यहां खाने जितनी भिन्नता के साथ बनतें हैं उतने और कहीं नहीं। हमने खाने के विभिन्न तरीकों का वैज्ञानिक अध्ययन किया है लेकिन उसकी निकासी पर हमारा ‘सिस्टमÓ और हम शिथिल हैं। हमें पता है कि सौंफ, हल्दी आदि कितनी गुणकारी है लेकिन हमें जानबूझ कर खुले में शौच के ‘ओपन स्क्रिेट डिसएडवेंटेजÓ को नजर अंदाज करते रहें हैं कि इससे ल”ाा भंग के साथ संक्रमण कैसे फैल रहा है । जमीयत-उलमा-ए-हिंद के सचिव जनरल मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि जिस घर में शौचालय न हो, वहां मौलवी और मुफ्ती निकाह पढने न जाएं। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के मौलवियों और मुफ्तियों ने फैसला किया है कि वे ऐसे घरों के लड़कों का निकाह नहीं कराएंगे जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं।
जमीयत उलमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद ए मदनी ने कहा कि तीन रा’यों में शौचालय की शर्त को मुसलमानों की शादी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है और इसे जल्द ही देश के अन्य सभी रा’यों में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के मौलवियों तथा मुफ्तियों ने फैसला किया है कि वे ऐसे मुस्लिम लड़कों का निकाह नहीं कराएंगे जिनके घरों में शौचालय नहीं हैं। यह स्वागत योग्य सराहनीय पहल है। बेहतर हो कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में इस तरीके का फरमान जारी किया जाए। संजय शुक्ला ने जो यह मुद्दा उठाया है उसे संसद और विधानसभा में उठना चाहिए था। इसकी जगह संसद प्रायोजित तरीके से व्यर्थ के सवालों पर भंग होती रही है। देखना रोचक होगा कि इस फिल्म को किस तरह तरह ढ़ाला गया है और कैसे इस संदेशात्मक वाक्या को मनोंरजक तरीके से प्रस्तुत किया है।