आठनेर। हिन्दु उत्सव समिति बैतूल के तत्वाधान मृत्यु भोज एक सामाजिक कुरीति के विरोध में एक परिचर्चा का आयोजन आठनेर में किया गया। इस कार्यक्रम में मृत्यु भोज परंपरा के खिलाफ सभी लोगों ने अपना मत रखा। समाज के लोग अब इस पंरपरा में बदलाव चाहते हैं, और सभी समाजों के प्रतिनिधियों ने संकल्प लिया की वे तीसरा,दसवां एवं तेरव्ही के आयोजन में शामिल तो जरूर होंगे, लेकिन इस कार्यक्रम में वे अपने श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे, मृत्युभोज में शामिल नहीं होंगे। इन आयोजनों में केवल शोक व्यक्त कर परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रेषित करेंगे।
ये लोग हुए परिचर्चा में शामिल
मृतकभोज परिचर्चा में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिनमें साहू समाज के रमेश आजाद, किरार समाज के मदनलाल डढोरे, राठौर समाज देवीराम राठौर, सेन समाज से सुरेश सोनपुरे, सोनी समाज से राकेश सर्वणकार, महार समाज से लीलाधर नागले, पवांर समाज सुरेन्द्र पवांर, मातंग समाज से गेंदलाल बंगाले, आदिवासी समाज वासुदेव उइके एवं हिन्दु उत्सव समिति के अध्यक्ष गोपाल साहू इस अवसर पर उपस्थित थे।
किसने क्या कहा
रमेश आजाद ने कहा अपने घर से हमें इस सामाजिक कुरीति का विरोध करना होगा। समाज में कई ऐसे काम हैं जिनके माध्यम से हम मृत आत्मा के प्रति श्रद्धांजली व्यक्त कर सकते हैं। लोगों की दुख,तकलीफ दूर कर हम समाज सेवी गतिविधियों के माध्यम से मृतआत्मा के प्रति सहानभूति व्यक्त कर सकते हैं और उनका आर्शिवाद ले सकते हैं।
मदनलाल डढोरे ने कहा कि सभ समाज एकजुट होकर एक मंच मृत्यु भोज करने के लिए मुहिम चलाय, हम शिक्षक संघ के माध्यम से भी मृतकभोज में लोगों को जागरूकता अभियान चलाएगें, लोगों से सिर्फ श्रद्धांजली अर्पित करने का आग्रह किया जाएगा।
वासुदेव उइके ने कहा कि सिफ परंपरा के नाम पर की जा रही इन सामाजिक कुरीतियों को खत्म करना जरूरी है, साहसी युवाओं को इस क्षेत्र में कदम रखकर लोगों के सामने उदाहरण प्रस्तुत कर इस परंपरा खत्म किया जा सकता है।
लीलाधर नागले ने कहा कि सभी समाज के लोग और पदाधिकारी जब सामूहिक रूप से मृत्यु भोज का बहिष्कार करेंगे तो निश्चित रूप से मृत्यु भोज बंद हो सकता है।
देवीराम राठौर ने कहा कि हर समाज का व्यक्ति आगे आकर प्रत्येक गांवों में जाकर लोगों से समाज स्तर पर
चर्चा कर इस सामाजिक कुरीति के विरोध में लोगों को साथ लेकर चले तो ये परंपरा निश्चित रूप से बंद हो सकती है।
आशाराम जितपुरे ने कहा कि गरीब अमीर इस सामाजिक कुरीति को दूर करने के लिए आगे आये। मृत्यु भोज वास्तव में अनावश्यक फिजूलखर्ची है इससे किसी प्रकार का लाभ नहीं होता। इसे बंद करने से समाज को लाभ मिलेगा।
बैठक में प्रमुख रूप से एस महस्की, जगदीश मायवाड़, निखिल सोनी, गेंदराव बंगाले, सुरेन्द्र पवांर, रामनाथ दवंड़े, रमेश आजाद, संजय सोनी, रामचरण नगदे, मदनलाल डढोरे, एमआर लाकुडक़र, वासुदेव उइके, पीर अली, सुम्मतलाल बसंतपुरे, आशाराम जितपुरे, भीमराव खाड़े, लीलाधर नागले, कन्हैयालाल जितपुरे, राकेश स्र्वणकार, सुरेश सोनपुरे, डीडी नरवरे ओमप्रकाश बरोदे,रामराव खाड़े, नत्थु लाल, मधुकर धाड़से, देवीराम रौठर, गोपाल साहू आदि उपस्थित थे।
मेरा मृत्यु भोज मत करना
इस बैठक में मातंग समाज के गेंदराव बंगाले ने सभी उपस्थितजनों से कहा मेरी मृत्यु पश्चात मेरा मृत्यु भोज मत करना। केवल श्रद्धांजली सभा का आयोजन करना, लोग मेरे चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे तो मेरी आत्मा को बड़ा सुकून मिलेगा।