बैतूल। सपाक्स के तत्वावधान में सोमवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। सपाक्स संरक्षक पंकज विजयवर्गीय ने कहा कि भारत के संविधान में अनुसूचित जाति जन जाति एवं अन्य पिछड़े वर्गो को मुख्य धारा में लाने हेतु समावेशी सिद्धांतों पर शिक्षा एवं नौकरी में आरक्षण के प्रावधान है। वर्ष 1992 में माननीय सर्वो”ा न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में पदोन्नति में आरक्षण को पूर्णत: असंवैद्यानिक ठहराया था। वर्ष 1995 में संविधान संशोधन कर पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था जारी रखने हेतु 77वां संविधान संशोधन कर सुनिश्चित किया गया कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था सतत् जारी रहे। वर्ष 2000 में संविधान में संशोधन कर पदोन्नति में आरक्षण के साथ ही परिणामी वरिष्ठता दिए जाने का भी प्रावधान किया गया। साथ ही समानुपालिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु शत प्रतिशत बैकलाग भर्ती के प्रावधान भी संविधान संशोधन कर किए गए। उक्त संविधान संशोधन की व्याख्या सर्वो”ा न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा एम नागराज प्रकरण में वर्ष 2006 में करते हुए कुछ बंधनकारी अनिवार्य शर्ते अनिवार्य की गई परन्तु केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं रा’य सरकारों द्वारा बनाए गए पदोन्नति नियमों में इन बंधनकारी शर्तो का उल्लघंन करते हुए निरंतर पदोन्नति की जाती रहीं हैं। जबकि एम नागराज प्रकरण में माननीय सर्वो”ा न्यायालय द्वारा निर्धारित शर्तो का पालन न होने से विभिन्न रा’य सरकारों एवं केन्द्रीय विभागों के नियमों को स्वयं सर्वो”ा न्यायालय द्वारा खारिज किया जाता रहा है।
अजय मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2012 में पदोन्नतियों में आरक्षण विषयक 117वां संविधान विधेयक रा’यसभा में पारित हुआ था परन्तु लोकसभा से पारित न होने के कारण प्रभावशील नहीं हो सका। मप्र सरकार ने यह संकल्प व्यक्त किया है कि उक्त संविधान संशोधन पुन: लाया जाएगा जिससे अजाजजा के शासकीय कर्मियों का समानुपातिक प्रतिनिधित्व हर स्तर पर सुनिश्चित हो सके। ऐसा करने के लिए पूर्व संविधान संशोधनों में ही पर्याप्त व्यवस्थाएं है। मात्र सरकारों द्वारा इनका पालन न करने से भी शासकीय विभागों में विसंगतियां उत्पन्न हुई। डॉ. राकेश सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2012 में रा’य सभा से पारित होने के बावजूद इतने वर्षो तक लंबित रहा उसे पुन: पारित करने का प्रयास न किया जाए बल्कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था जो योग्यता और वरिष्ठता का अपमान है, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होने कहा यह दंश तो हमारी पीढ़ी ने झेल लिया अब हम यह लड़ाई आज की प्रतिभावान युवा पीढी के लिए लड़ रहें हैं। संजय हुद्दार ने कहा कि हम मप्र शासन से मांग करते हैं कि सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील वापस ली जाए। सोहनलाल राठौर ने कहा कि वोट के लिए सरकार आरक्षण के हथियार से पदोन्नति कर योग्यता का गला काट रही है। इस मौके पर सुरन्द्र इदनानी, मनीष त्रिपाठी, सोहनलाल राठौर, शिवपाल कुमार, संजय श्रीवास्तव, विवके तिवारी, कमलेश चौहान, पंकज विजयवर्गीय, अजय मिश्रा,डॉ. राकेश सिन्हा, मनीष उदासी, अतुल डोंगरे, राजेश गौर, डॉ. विजय पाटिल, ओम द्विवेदी, विक्रम शर्मा, सौरभ सूर्यवंशी, मयूर चौहान, निखिल राजपूत सहित सैंकड़ों लोग उपस्थित थे। ज्ञापन सौंपते समय जिले के सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग, अधिकारी, कर्मचारी, संस्था के सदस्यों और पदाधिकारियों एवं सामाजिक बंधु परिवार सहित सैंकड़ों की संख्या में मौजूद थे।