कृष्ण जन्म की सजाई झांकी
बैतूल। जब बालक का जन्म होता है तो उसके तन पर कोई विकार का वस्त्र नहीं रहता किन्तु धीरे-धीरे वस्त्र फिर उसमें जेब आती तो फरेब करता और सोचता है सारी दुनिया अपनी जेब में भर लूं। जन्म जितना तय उतनी ही मृत्यु सुनिश्चित है। बच्चे की पहली किलकारी में मृत्यु की अंतिम घोषणा छिपी होती है। जन्म मंगलमय है तो मृत्यु कैसे अमंगल हो सकती है। उक्त उद्गार शंकर नगर,बैतूल में चल रही के चतुर्थ दिवस पर आज श्रीमद भागवत कथा में पंडित सुखदेव शर्मा ने व्यक्त किए। कथा में पीठ पूजन कर्ता पंडित नरेन्द्र दुबे बनारस, व्याकृणाचार्य व परायण कर्ता पंडित विद्यासागर दुबे इलाहबाद पधारे हैं।
कथा संगीत कोयल कंठ मुकेश साहू, मदन पाटिल के साथ आरगन पर पवन कुमार संगत दे रहें हैं। श्री शर्मा ने कहा वर्तमान सुधारो भविष्य सुधरता है। जीवन में अगर सफलता चहाते हो तो जो बुद्धि में भेद है उसे मिटा दो चरित्र में छेद है तो उसे मिटा दो, मन में जो खेद है उसे मिटा दो। प्रार्थना कोई एटीएम मशीन नहीं कि बटन दबाओं और पैसा बाहर आएगा। प्रार्थना फ्रिज है, पानी रखो और इंतजार करो कुछ समय में बर्फ बन जाएगी, प्रार्थना इंतजार है, प्रार्थना विश्वास है। कथा के आयोजक मुन्नालाल साहू, नेकराम आर्य, मामा मालवीय, उब्बु सेठ, यशवंत सूर्यवंशी, पूर्णा बाई वर्मा, महिला मंडल ने सभी से कथा में पधारने का अनुरोध किया है।