बैतूल। स्वतंत्रता संग्राम सैनानी स्व. पुरूषोत्तम आम्बेकर के गृह निवास गंज में गुरूवार को महालक्ष्मी पूरी श्रद्धा और धूमधाम के साथ विराजित हुई। इस अवसर पर श्रीमती अर्चना दीपक आम्बेकर ने बताया कि महालक्ष्मी की मूर्ति कई प्रकार से बनाई जाती है। किसी-किसी के यहाँ तो पीतल के मुखौटों को कोठी में स्थापित किया जाता है तो कोई कागज की महालक्ष्मी बनाकर स्थापना करता है। किसी घर में पाषाण को महालक्ष्मी का रूप देकर पूजन कर देवी स्थापना की जाती है। महाराट्रीयन समाज में महालक्ष्मी स्थापना का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। विधिवत महालक्ष्मी उपासना की जाती है। कुछ परिवारों में ‘येष्ठ व कनिष्ठ दो गौरी स्थापित की जाती हैं। उन्हें मंगलसूत्र, साड़ी अथवा सोलह हाथ की साड़ी (लुगड़ा) पहनाई जाती है। देवी का आकर्षक श्रृंगार होता है। रांगोली बनाई जाती है। देवी के आह्वान अवसर पर पूरे घरों में रांगोली व रोली से पैरों के छापे मांडे जाते हैं। देवी महालक्ष्मी को संपूर्ण घर का अवलोकन करवाया जाता है। पर्व के दूसरे दिन विशेष पूजन होता है। चटनी, रायते, मिठाइयां, पूरण पोळी आदि भी अर्पित की जाती हैं। पूजन और प्रसादी के समय बड़ी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित थे।
माता लक्ष्मी के रूप में पूजी जाती है जेठानी-देवरानी
श्रीमती अर्चना दीपक आम्बेकर ने बताया ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी के जिस रूप की पूजा की जाती है वो जेठानी-देवरानी हैं। अपने दो ब’चों के साथ वो इन दिनों मायके आती हैं। मायके में आने पर तीन दिनों तक उनका भव्य स्वागत किया जाता है। पहले दिन स्थापना, दूसरे दिन भोग और तीसरे दिन हल्दी कुमकुम के साथ माता की विदाई। इसके साथ ही महाराष्ट्रीयन समाज में छह दिवसीय गणपति उत्सव की भी समाप्ति हो जाती है। कई स्थानों पर महालक्ष्मी उत्सव बेहद ही उत्साह और उम्दा तरीके से मनाया जाता है। महालक्ष्मी उत्सव के दौरान लक्ष्मी जी के पंडाल को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है। महालक्ष्मी की पूजा फुलहरा बांधकर की जाती घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। यह पूजा विशेष कर घर की बहुओं द्वारा की जाती है। महिलाएं साथ में मिलकर ढोलक-मंजीरों के साथ भजन-कीर्तन गाती हैं। श्रीमती आम्बेकर ने बताया कि लक्ष्मी की इन मूर्तियों में कोई भी बदलाव तभी किया जा सकता है जब घर में कोई शादी हो या किसी ब’चे का जन्म हुआ हो। माता की प्रतिमाओं के अंदर गेहूं और चावल भरे जाते हैं, जो इस बात का का प्रतीक है कि घर धन-धान्य से भरा-पूरा रहे।