अध्यापक संघर्ष समिति ने सौंपा ज्ञापन बैतूल। अध्यापक संघर्ष समिति तत्वावधान में मंगलवार को मुख्यमंत्री के नाम से अनुविभागीय अधिकारी बैतूल को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के संबंध में रवि सरनेकर व विनोद पडलक ने बताया कि विगत कई वर्षों में कई बार अध्यापक संवर्ग के प्रतिनिधियों की साथ हुई बैठकों में अध्यापकों, संविदा शिक्षकों, गुरुजियों एवं अतिथि शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण हेतु सहमति बनने के पश्चात भी पूर्व में जारी आदेशों को निरस्त करते हुए शासन द्वारा दिनांक 07 जुलाई 2017 एवं 22 अगस्त 2017 को 6वें वेतनमान की गणना के लिए जारी आदेशों में बहुत विसंगतियां है । जिससे समूचे अध्यापक जगत में आक्रोश है। भीम लांझीवार व राजेन्द्र कटारे ने बताया कि प्रदेश के अध्यापकों को प्रथम नियुक्ति दिनांक से शिक्षक संवर्ग के वेतन के अनुरूप काल्पनिक गणना करते हुए वेतनमान का लाभ दिया जाना था, परन्तु जारी आदेशों में अध्यापक बनने के दिनांक से काल्पनिक गणना की गई है, जिससे अध्यापक संवर्ग को बहुत आर्थिक नुकसान हैं। जारी आदेशों में 01 अप्रैल 2007 या इसके बाद अध्यापक बनने के दिनांक से 5वें वेतनमान के प्रारंभिक मूल वेतन में निर्धारण करते हुए, 5वें वेतनमान के अनुरूप प्रतिवर्ष इंक्रीमेंट लगाते हुए, पदोन्नति, क्रमोन्नति के दिनांक से उ’चतर पद के वेतनमान में अगली स्टेज पर वेतन निर्धारण नहीं करते हुए। पीएल साहू व नितिन वर्मा ने बताया कि उ’चतर पद के वेतनमान के न्यूनतम पर मूल वेतन निर्धारण कर 1 जनवरी 2016 की स्थिति में 1.86 का गुणा कर मूल वेतन निर्धारण किया गया है। जिससे वर्ष 1998 से 2003 के मध्य नियुक्त सीनियर अध्यापकों का वेतन वर्ष 2004 में नियुक्त जूनियर अध्यापकों से बहुत कम हो गया है। इस प्रकार जारी आदेश लाभ के स्थान पर नुकसानदायक साबित हो रहे हैं। जारी आदेश के अनुसार 1 जनवरी 2016 से छठे वेतनमान का लाभ दिया गया है, जब की दिनांक 04 सितम्बर 2013 के आदेश में अध्यापक संवर्ग को 01 अप्रैल 2007 से 6वें वेतनमान की काल्पनिक गणना करते हुए 01 सितम्बर 2013 से छठे वेतनमान का नगद लाभ देते हुए अंतरिम राहत प्रदान की गई थी। जिसमें 01 अगस्त 2013 की स्थिति में शिक्षकों के समान वेतन से तुलना कर अंतर की राशि 4 समान किस्तों में प्रतिवर्ष दी जा रही थी, जिसका अंतिम समायोजन 01 सितम्बर 2017 को कर 01 सितम्बर 2013 से 01 सितम्बर 2017 तक का एरियर भी दिए जाने के आदेश थे। इस प्रकार जारी किए गए नए आदेशों से अध्यापक संवर्ग को लाभ के बदले हानि हो गई हैं। सितंबर 2015 में अध्यापक संवर्ग द्वारा छठे वेतनमान की अंतरिम राहत की तीसरी और चौथी किस्त एक साथ देते हुए अंतिम समायोजन दिसंबर 2015 में करने हेतु आंदोलन किया गया था जिससे अध्यापक संवर्ग को शिक्षकों के समान 7वें वेतनमान का लाभ मिल सके। आंदोलन के पश्चात अध्यापक संवर्ग के सभी संघों के प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री द्वारा इस मांग पर सहमति देते हुवे शिक्षक संवर्ग के साथ ही अध्यापकों को भी 7वें वेतनमान का लाभ देने की सहमति प्रदान की गई थी। शिक्षक संवर्ग को शासन द्वारा 7वां वेतनमान देने के आदेश जारी कर दिए गए हैं परन्तु अध्यापक संवर्ग को 6वां वेतनमान भी सही तरीके से नहीं दिया गया हैं । जारी आदेशों के अनुसार अध्यापक संवर्ग को पूर्व से मिल रही सुविधाओं जैसे ग्रीन कार्ड या अन्य विशेष वेतन वृद्धि देने एवं गृह भाड़ा सहित अन्य भत्तों का भी उल्लेख नहीं किया गया हैं ।
अन्य समस्याएं
सुभाष बड़ोदे व गणेश गाडग़े ने बताया कि अपने माता-पिता और ब’चों से कई किलोमीटर दूर नौकरी कर रहे अध्यापक संवर्ग के लिए विगत दिनों स्वै’िछक स्थानांतरण की नीति जारी की गई है। किंतु उक्त नीति में प्राइमरी में 2 और मिडिल स्कूलों में 3 से अधिक शिक्षक होने पर ही स्थानांतरण का आवेदन मान्य करने की बाध्यता के कारण किसी भी अध्यापक का स्थानांतरण संभव नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इस शर्त को पूरा करने वाले बहुत ही कम स्कूल है। अत: इस बाध्यता को अविलंब समाप्त किया जाए । अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों का असामयिक निधन हो जाने पर उसके आश्रित को 12वीं उत्तीर्ण होने पर अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता थी। किंतु वर्ष 2011 से आरटीई एक्ट का हवाला देकर अनुकंपा नियुक्ति के लिए 12वीं मे 50 प्रतिशत अंकों के साथ ही डीएड/ बीएड तथा पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है। जिससे मृतक अध्यापक के आश्रित को अनुकंपा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। पूर्व में किसी कर्मचारी की मौत हो जाने पर 12वीं उत्तीर्ण आश्रित को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान था। तथा यदि आश्रित 12वीं उत्तीर्ण ना हो तो 7 वर्ष के अंदर 12वीं उत्तीर्ण कर अनुकंपा नियुक्ति लेने या 5 वर्षों तक मृतक के अंतिम वेतन के अनुसार वेतन लेकर या 5 लाख रुपए नगद लेकर अनुकंपा का दावा छोडऩे के तीन विकल्प होते थे । परन्तु पिछले वर्ष इन विकल्पों को भी बंद कर वांछित योग्यता ना होने पर 1 लाख रुपए देकर अनुकंपा की पात्रता समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया गया । जोकि अमानवीय हैं । दीक्षा साहू व गामिनी देव ने कहा कि ज्ञापन में मांग की है कि नियमों को शिथिल कर पूर्व की भांति अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए और यदि यह संभव नही हो तो मंदसौर किसान आंदोलन में मृत किसानों की भांति मृतक अध्यापकों के परिवार को भी 1 करोड़ की अनुग्रह राशि प्रदान की जाए। रश्मि साहू व संजु घानेकर ने बताया कि शिक्षक संवर्ग के समान अध्यापक संवर्ग की महिला कर्मचारियों को भी चाईल्ड केयर लीव का लाभ देने हेतु आदेश जारी किया जाए। सभी आवश्यक योग्यता होने के बावजूद वरिष्ठ अध्यापकों को अपनी सेवा के 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी पदोन्नति का अवसर ना तो वरिष्ठता के आधार पर और ना ही रा’य शिक्षा सेवा के अंतर्गत परीक्षा के आधार पर प्राप्त हो पाया है। अत: वरिष्ठ अध्यापकों की पदोन्नति का रास्ता खोला जाए। गुरुजी से बने अध्यापकों को प्रथम नियुक्ति दिनांक से पदोन्नति/क्रमोन्नति हेतु वरिष्ठता दी जाए। जीपी झरबड़े व संतोष मर्सकोले ने बताया कि वर्ष 2004 के पश्चात नियुक्त व्यायाम सहायक अध्यापकों को पूर्व वर्षों की भांति व्यायाम अध्यापक के पद पर संविलियन मान्य कर, नियुक्ति दिनांक से वेतन भत्ते आदि दिए जाए। ऐसे संविदा शाला शिक्षक जिनका बीएड/ डीएड किसी कारण से देर से हुआ है उन्हें दिनांक 8 अक्टुबर 2016 को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश की भांति, 3 वर्ष पूर्ण होने के दिनांक से अध्यापक संवर्ग में नियुक्त करते हुए इंक्रीमेंट का लाभ देने का आदेश जारी किया जाए। सितंबर 2015 में अध्यापक संवर्ग के आंदोलन की अवधी को अध्यापक के खाते में उपलब्ध छुट्टियों में मान्य कर, काटे गए वेतन का भुगतान करने का आदेश जारी किए जावे। अतिथि शिक्षकों को गुरुजियों की भांति अलग से परीक्षा लेकर नियमित किया जाए। एमआर पांसे और देवेन्द्र गलफट ने ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि कम छात्र संख्या के चलते स्कूलों को बंद या मर्ज करने के स्थान पर स्कूलों में शिक्षकों के खाली पद भरते हुए अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए। मिलन तिमोसी व रामविलास बामने ने कहा कि जिस शहर, ग्राम या बसाहट में पहले से सरकारी या प्राइवेट स्कूल है वहां पर नवीन स्कूल को मान्यता नहीं दी जावे तथा प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत 25त्न से अधिक को प्रवेश नहीं दिया जाए जिससे सरकारी स्कूलों में पर्याप्त छात्र संख्या रहे। ज्ञापन में मांग की है कि शीघ्र ही उक्त वर्णित आदेशों को संशोधित कर अध्यापकों को समान कार्य के बदले समान वेतन सहित अन्य सुविधाओं का लाभ प्रदान करते हुए शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए। इस मौके पर गणेश मालवीय, रामराज पाल, दिनेश मालवीय, जितेन्द्र देशमुख, श्रीराम पाटनकर, विलीन चौकीकर, ममता सरनेकर, कमलेश वर्मा, वीएम शुक्ला आदि उपस्थित थे।