बैतूल। शहर के प्रतिभावान कलाकारों इस बार देश की राजधानी दिल्ली में जिले और प्रदेश का परचम लहराया है। भारत सरकार के पेयजल एवं स्व’छता मंत्रालय द्वारा ‘स्व’छ संकल्प से स्व’छ सिद्धिÓ के अंतर्गत कराई लघु फिल्म प्रतियोगिता में बैतूल के कलाकारों के द्वारा बनाई गई फिल्म को देश भर में तीसरा स्थान हासिल हुआ है। इस उपलब्धि से समूचा जिला गौरवांवित महसूस कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्व’छ अभियान के तहत भारत सरकार ने नेहरू युवा केन्द्र संगठनों के जरिए लघु फिल्म प्रतियोगिता आयोजित की गई। शहर के युवा निर्देशक विपिन जैन के निर्देशन में कर्मवीर बनाई गई थी। हैलो बैतूल प्रोडेक्शन में बनी इस फिल्म में स्वामी विवेकानंद, पां’यजन्य युवा मंडल के कलाकारों शिरिष सोनी, राकेश मौर्य, माधुरी साबले, आशीष माकोड़े, जीत मालवी, कार्तिक त्रिवेदी, सूर्यदीप त्रिवेदी ने बेहतरीन अभिनय किया है। महज तीन मिनट की समयावधी वाली यह फिल्म स्व’छता को लेकर दर्शकों व निर्णायकों पर प्रभावी छाप छोडऩे पर सफल रही। इसी का नतीजा रहा की पहले जिला, रा’य फिर राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन की पात्रता हासिल की। देश भर के प्रदेशों से प्रथम आई फिल्म में प्रदशित की गई जहां ‘युरी के विद्वान निर्णायकेां ने बैतूल की इस फिल्म को उत्कृष्ट पाते हुए तृतीय स्थान के लिए चयनित किया है। बुधवार को नेहरू युवा केन्द्र के जिला समन्यवयक शिवपाल सिंह राजपूत ने फिल्म के कलाकारों को यह खुशखबरी सुनाई जिसके बाद कलाकार खुशी से झूम उठे।
दिल्ली में होगा कलाकारों का सम्मान
बैतूल फिल्म के लिए इस प्रतिष्ठत मुकाबले में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान पाने के लिए फिल्म की पूरी यूनिट का दिल्ली में संभवत: 2 अक्टुबर को आयोजित होने वाले भव्य समारोह में सम्मान किया जाएगा। इस अवसर पर जहां बैतूल की टीम को 20 हजार की राशि, प्रमाण पत्र और शील्ड प्रदान की जाएगी। फिल्म जगत के क्षेत्र में जिले ही नहीं प्रदेश की भी यह पहली उपलब्धि होगी।
यह है फिल्म की पृष्ठभूमि
इस फिल्म की पटकथा युवा कलाकार अमित कसेरा, सतीश साहू और सूर्यदीप त्रिवेदी ने लिखी है। फिल्म के जरिए यह संदेश विषय मे दिया है कि स्व’छता भाषणों से कतई नहीं आ सकती है। इस फिल्म में जो दृश्य फिल्मांकित किए गए हैं उसमें नेताजी खूब भाषण देतें हैं पर इसका किसी पर कोई असर नहीं होता है। आयोजन के बाद सभी लोग गांधी प्रतिमा के पास कचरा फेंककर चले जाते हैं । जिसके कुछ देर बाद खेलने पहुंचा एक ब”ाा कचरा देख कर पहले सफाई में जुट जाता है जिसे देख कर गांधीजी स्वयं गुलाब का फूल भेंट कर गले लगा लेते हैं।