बैतूल। यूरो किड्स गंज बैतूल में पोस्ट आफिस गंज शाखा द्वारा महामेले का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर स्कूल की संचालिका प्राची भार्गव ने बताया कि मेले में सिर्फ सुकन्या समृद्धि योजना के विषय में जानकारी दी जा रही है और खाते खोले जा रहें हैं। यह मेला 30 नवम्बर तक चलेगा और एक कार्यक्रम आयोजित कर 1 दिसम्बर को पासबुक वितरण किया जाएगा। प्राची भार्गव ने बताया कि खाता खोलने के लिए ब’ची का जन्म प्रमाण पत्र, अभिभावक के पते का प्रमाण पते और फोटो पहचान पत्र (पैन कार्ड, वोटर आईडी, आधार कार्ड) लाना जरूरी है।
क्या है सुकन्या समृद्धि योजना
इस योजना अंतर्गत अभिभावक को खोलना होगा अकाउंट: माता-पिता या कानूनी अभिभावक अधिकतम दो लड़कियों के लिए यह खाता खोल सकते हैं। जुड़वा या तीन ब’िचयों का जन्म एक साथ होने की स्थिति में अधिकृत चिकित्सालयों से प्रमाण पत्र देने पर उन्हें भी योजना में शामिल किया जा सकेगा। लड़की की उम्र 10 साल की होने तक सुकन्या समृद्धि अकाउंट खोला जा सकता है। सुकन्या समृद्धि योजना में लड़की के नाम पर ही अकाउंट खोला जा सकता है। जमाकर्ता (अभिभावक) एक व्यक्ति होगा, जो नाबालिग लड़की की ओर से अकाउंट में पैसा जमा करेगा और एक लड़की के नाम पर सिर्फ एक ही खाता खोला जा सकेगा। अकाउंट को एक हजार रुपए से खोला जा सकता है। लड़की के एक शहर से दूसरे शहर जाने पर इसे मूल स्थान से भारत के किसी भी शहर में ट्रांसफर किया जा सकता है। हर साल में कम से कम एक हजार रुपए हर खाते में जमा होने चाहिए। अधिक से अधिक 1,50,000 रुपए जमा किए जा सकते हैं। एक वित्त वर्ष में कितनी बार पैसे जमा किए जाए, इस पर कोई पाबंदी नहीं है। पैसे नगद, चेक या ड्राफ्ट के जरिए जमा किए जा सकते हैं। इस योजना में ब्याज की दर 9.1 प्रतिशत प्रति वर्ष रखी गई है। हालांकि, हर साल अप्रैल में इसकी समीक्षा होगी और जो भी बदलाव होगा उसकी जानकारी तत्काल दे दी जाएगी। ब्याज की गणना सालाना होगी, जिसे सीधे बैंक खाते में जमा करवाया जाएगा। अभिभावक इस अकाउंट में 14 साल पूरे होने तक ही पैसे जमा करवा सकते हैं। उसके बाद अकाउंट के परिपक्व होने तक कोई राशि जमा करने की जरूरत नहीं है। लड़की की उम्र 18 साल होने के बाद अकाउंट परिपक्व हुए बिना यदि पैसे निकालना है तो जमा की हुई राशि (पूर्व वित्त वर्ष के समाप्ति की राशि) का 50 प्रतिशत निकाले जा सकते हैं। लड़की की उम्र 21 वर्ष होने पर ही अकाउंट बंद किया जा सकेगा। यदि इसके बाद भी पैसा नहीं निकाला जाता तो उस पर ब्याज मिलता रहेगा। आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत छूट में शामिल। इस धारा के तहत सालाना 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर कर में छूट मिलती है। ब्याज और पूर्ण परिपक्वता राशि समेत सभी तरह के भुगतान पूरी तरह से करमुक्त हैं।