बैतूल। आजादी के 64 साल बीत जाने के बावजूद भी आज कई गांव विकास की गति से कोसों दूर है। किसी गांव में लोगों को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा तो किसी गांव में वास्तविक गरीबों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही। ऐसा ही एक मामला आज बैतूल विकासखंड के ग्राम गाड़वा और हथनाझिरी का सामने आया जहां अपनी कई समस्याओं को लेकर ग्रामीण जिला निगरानी समिति के चेयरमैन प्रशांत गर्ग, शहर निगरानी समिति के अध्यक्ष संजय शुक्ला, निगरानी समिति के सदस्य प्रफुल्ल काले, राघुनाथ राने एवं खडक़ू बारंगे के नेतृत्व में कलेक्टर बी. चंद्रशेखर के पास पहुंचे। अपनी समस्याओं को लेकर इन ग्रामवासियों ने बताया कि ग्राम पंचायत पीपला के अंतर्गत आने वाले ग्राम गाड़वा में रहने वाले अधिकांश आदिवासी परिवार अत्यंत गरीब है और गांव की जनसंख्या लगभग 550 है।
इस गांव से दूर पांच किलोमीटर तक प्रशासन के सहयोग से प्रधानमंत्री सडक़ का निर्माण तो कर दिया गया लेकिन गांव तक पहुंचने का रास्ता इतना खराब है कि ठीक से साईकिल भी नहीं चलाई जा सकती। इसके पूर्व कुछ परिवारों को शासकीय पट्टे प्रदान करने के लिए फार्म भरवाए गए थे लेकिन इस ओर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। ग्राम पंचायत स्तर पर निर्मल वाटिका का निर्माण करने के लिए खोद गए गड्ढे भी अपूर्ण है जिन पर आज तक वृक्षारोपण का कार्य तक नहीं करवाया गया। ग्रामवासियों ने यह भी बताया कि गाड़वा गांव को अभी तक राजस्व गांव का दर्जा प्रदान नहीं किए जाने के चलते इस गांव में विकास कार्य नहीं हो पा रहे। विद्युतीकरण के लिए नए पोल लाए गए थे लेकिन कुछ ही दिनों में संबंधित विभाग द्वारा इन पोलों को वापस ले जाया गया और गांव के अधिकांश घर आज भी विद्युत सप्लाई से काफी दूर है। इसके अलावा ग्राम हथनाझिरी के ग्रामीणों ने भी बताया कि गांव के कई परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब है।
सर्वे में पात्र कई लोगों के नाम छोड़ दिए गए और ऐसे लोगों को बीपीएल की सूची में शामिल कर लिया गया जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ-साथ वे कृषि भूमि के मालिक भी है। गांव के लोगों को राशन लेने के लिए पांच किलोमीटर दूर पीपला सोसायटी जाना पड़ता है और गरीब परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि समस्याओं को गम्भीरता से लेते हुए गांव में विकास कार्य के साथ-साथ गरीब परिवारों के नाम भी बीपीएल सूची में शामिल किए जाए। शिकायतकर्ताओं में कन्हैया बेले, कैलाश, वासुदेव, लक्ष्मण, नत्थू, कुंवरलाल, इमरत, संतोष, चंदू, सुरजू सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन शामिल थे।