बैतूल। विश्व हिन्दू परिषद धर्म प्रसार विभाग बैतूल द्वारा माता मंदिर, शंकर वार्ड बैतूल में गीता जयंती प्रांत सहधर्म प्रसार प्रमुख भूपेन्द्र पंवार की उपस्थिति में मनाई गई। इस अवसर पर भूपेन्द्र पंवार ने कहा कि द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश दिया था। यही वजह है कि इस दिन को गीता जयंती के नाम से जाना है। मान्यता है कि भगवद् गीता का जन्म श्री कृष्ण के मुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। कलयुग के प्रारंभ होने के 30 साल पहले मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था वह श्रीमद्भगवद् गीता के नाम से प्रसिद्ध है. श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों में से पहले 6 अध्यायों में कर्मयोग, फिर अगले 6 अध्यायों में ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्यायों में भक्तियोग का उपदेश है। प्रांत कार्यकारिणी सदस्य मनोहर लोखंडे ने कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है, यह विश्व का इकलौता ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है।
गीता मनुष्य का परिचय जीवन की वास्तविकता से कराकर बिना स्वार्थ कर्म करने के लिए प्रेरित करती है। गीता अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध,काम और लोभ जैसी सांसासरिक चीजों से मुक्ति का मार्ग बताती है। इसके अध्ययन, श्रवण, मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता का भाव आता है। इस मौके पर प्रांत कार्यकारिणी सदस्य मनोहर लोखंडे, जिला प्रमुख धर्म प्रसार प्रयाग नावंगे, नगर अध्यक्ष दयाराम माकोड़े, नारी शक्ति मंच विभाग संयोजिका मंजु उपासे, सुंदरलाल मालवीय, कुसुम लाल पंवार, सुरेश मालवीय, शंकरलाल मालवीय, विमला मालवीय, सुशीला साहू, काशीबाई बारस्कर, पुष्पा साहू, जया कालभोर, शकुन माकोड़े, पार्वती पांचल, लक्ष्मी मालवीय आदि उपस्थित थे।