बैतूल। जीवन में उतार चढ़ाव, ये जीवन की कहानी है। इससे भयभीत होकर व्यक्ति को मंत्र, ग्रंथ, संत नहीं बदलना चाहिए। सुख-दुख हमारे कर्मो का फल है। दुख मिले तो दुखी नहीं हो क्योंकि भगवान हमारे दुष्कर्मो का फल देकर हमें निष्पाप कर रहें हैं। उक्त उद्गार पंडित सुखदेव शर्मा ने नाग मंदिर के सामने, सरोज भवन, मालवीय वार्ड (खंजनपुर) में भागवत कथा के दूसरे दिन व्यक्त किए। पंडित शर्मा ने कहा कि दुख के समय पूजा, दान, दया अधिक करिए। कर्म का फल अगर ग्रीष्म ऋतु बनकर आए तो छतरी पूजा है जिसकी गरमाहट थोडी सी लगेगी लेकिन धूप से बच जाएंगे। इसलिए पूजा, दान व सेवा का त्याग किसी भी परिस्थति में न करें। आयोजक मनमोहन मालवीय व रमेश मालवीय ने सभी से कथा लाभ लेने की अपील की है।