बैतूल। सफलता का मूल मंत्र है धैर्य, काम क्रोध और लाभ यही असफलता के तीन घर हैं। सफलता पाने के लिए धैर्य बहुत जरूरी है। धैर्य और साहस से सब कुछ संभव है। संसार में दो शक्तियां प्रबल है। पहली अध्यात्म और दूसरा धन। धर्म, ध्यान, तप और त्याग से अध्यात्मिक सफलता मिलती है। उक्त उद्गार पंडित सुखदेव शर्मा ने नाग मंदिर के सामने, सरोज भवन, मालवीय वार्ड (खंजनपुर) में भागवत कथा के पांचवे दिन व्यक्त किए। पंडित शर्मा ने कहा कि
कर्म, कठोर, परिश्रम, मेहनत से अधिक धन मिल जाता है। यदि सफल होना है तो तप, ध्यान, योग, असहाय दुखियों की सेवा, हमारी सोई कुई कंडलियों को जगाकर शुभ फल देगी। भगवान श्रीकृष्ण का यमुना से काली नाग पर नृत्य करना शरीर और मन पर नियंत्रण ही है। आयोजक मनमोहन मालवीय व राजेश मालवीय ने सभी से कथा लाभ लेने की अपील की है।