बैतूल। मानवाधिकार राष्ट्रीयता, निवास स्थान, लिंग, राष्ट्रीय या नैतिक स्रोत, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति से परे सभी व्यक्तियों में निहित अधिकार हैं। हम सभी, बिना किसी भेदभाव के अपने मानवाधिकार के समान रूप से हकदार हैं। ये अधिकार परस्पर संबंधी, एक-दूसरे पर आश्रित तथा अविभा’य होते हैं। यह बात अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन मप्र के चेयरमेन, छत्तीशगढ़ रा’य प्रभारी जगदीश तपिश मप्र दौरे के दौरान बैतूल में आयोजित विशेष बैठक में संगठन के पदाधिकारियों व सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कही। जगदीश तपिश ने कहा कि मानवाधिकार अधिकारों तथा दायित्वों दोनों को अपरिहार्य बनाते हैं। राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत दायित्वों तथा कार्यों को, मानवाधिकारों को आदर देने, उनकी रक्षा करने तथा उन्हें पूरा करने वाला मानते हैं। आदर देने के दायित्व का अर्थ है कि राष्ट्रों को मानवाधिकारों के प्रयोग में हस्तक्षेप करने से अथवा उसके प्रयोग को घटाने से बचना चाहिए। राष्ट्रों को मूल मानवाधिकारों के प्रयोगों के कारगर बनाने के लिए सकारात्मक रूख अपनाना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर, जब कि हम अपने मानवाधिकारों के हकदार हैं, हमें दूसरों के मानवाधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए । इस मौके पर संगठन के जिला अध्यक्ष संजय पप्पी शुक्ला, कार्यकारिणी अध्यक्ष घनश्याम मालवीय, सचिव कमलेश लोखंडे, महिला विंग अध्यक्ष मिनाक्षी शुक्ला, सचिव नीलम वागदे्र, कोषाध्यक्ष दीपक गुल्हाने, विधि सलाहकार मदन हिरे, उपाध्यक्ष कमल नागले, नारायण मिश्रा, मीडिया प्रभारी घनश्याम राठौर, राहुल मालवीय, डॉ. चन्द्रकिशोर मानकर, अनिल शेषकर, मानस शुक्ला राकेश शेषकर, जसवंत गावंडे, रामकिशोर बर्डे, दीपक पाल, नरेश टंडन, नरेन्द्र सिंह चन्द्रावत, मजीत शेख, दिनकर साहू, एनएस नागपुरे, डॉ.भूपेन्द्र राठौर, निमिषा शुक्ला, कृष्णा खंडेलवाल, कल्पना तरूणकर, मीना खंडेलवाल, श्रीमती एम पचौरी, गुंजन खंडेलवाल, प्रतिभा देशपांडे, सुमेधा सोमण, शांता कर्णे आदि मौजूद थे।
मंच संचालन सचिव कमलेश लोखंडे व निलिमा वाग्रदे द्वारा व आभार संजय शुक्ला ने व्यक्त किया।