बैतूल। अंश सेवा समिति के तत्वावधान में मानसिक विक्षिप्त, पीडि़त बेबस, असक्षम महिला की मदद करने को लेकर जिला न्यायाधीश को 8 फरवरी को ज्ञापन सौंपा था। इस संबंध में समिति के पवन मालवी ने बताया कि बैतूल कलेक्ट्रेट व कोर्ट के लोक अभियोजन बैतूल कार्यालय के परिसर में एक मानसिक विधवा महिला कई वर्षो बरसात, ठंड, गर्मी में खुले आसमान में पड़ी रहती है। महिला सशक्तिकरण के नाम पर शासन घर के प्रत्येक व्यक्ति को पहुंचाने वाली सरकार, पढ़े-लिखे महानुभावों एवं अन्य जिले के सामाजिक कार्य करने वाले महानुभावों एवं जनप्रतिनिधि जो जनता के सेवक बनकर वोट मांगने के समय लोगों के हाथ जोड़ते हैं और जीतने पर जनहित की सेवा करने का दावा करते हैं। परन्तु जीतने के बाद उन्हें जनता, असहाय लोगों की भी परेशानी उनकी आंखों से दिखाई नहीं देती है। सरकार 5 रूपए में पेट भर खाना खिला रही है और इस महिला को खाना तो दूर खाना बनाने के लिए सूरज निकलने से पहले सुबह पेड़ों से लकड़ी तोडऩे बास लेकर जाती है। शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी, मानव अधिकार कार्यालय के सम्मानित महानुभावों को भी इस महिला की परेशानी दिखाई नहीं देती है। पंडित दीनदयाल अंत्योदय योजना के द्वारा 5 रूपए में भर पेट खाना दिलवाने की योजना चल रही है एवं बैतूल शहर में आश्रय स्थल भी संचालित हो रहा है, लेकिन इस महिला को महिला सशक्तिकरण के नाम पर शासन, प्रशासन, एनजीओ पर लाखों रूपए खर्च किए जा रहें हैं। श्री मालवी ने बताया कि ज्ञापन दिए 15 दिन हो चुके हैं परन्तु आज भी हालात यथावत ही हैं। उन्होने मांग की है कि अतिशीघ्र महिला जिले में इस तरह के महिला-पुरूष को खाने की एवं रहने की व्यवस्था करने हुए मानव अधिकार की रक्षा करते हुए बैतूल शहर एवं जिले में अन्य महिला एवं पुरूष है उनके लिए खाने एवं रहने की व्यवस्था करें। जिससे हमारी संस्था का उद्देश्य पूरा हो सके। ज्ञापन की प्रति कलेक्टर बैतूल, नगर पालिका परिषद बैतूल, आयोग मित्र बैतूल मप्र मानव अधिकार आयोग मप्र को भी प्रेषित की गई थी।