बैतूल। न्यु बहु उद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय ठाकुर ने बताया कि प्रांतीय आव्हान पर कल 7 मार्च से प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल रहेंगे। जिसमें एएनएम, एमपीडब्ल्यु, एमपीडब्ल्यु, एमपीएस, सीएचवी, बईई, एमआई केडर शामिल है। संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष प्रकाश माकोड़े व प्रदेश महामंत्री रामेन्द्र मालवी ने बताया कि अनिश्चित कालीन हड़ताल से प्रदेश की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होगी। एएनएम, एमपीडब्ल्यु, एमपीडब्ल्यु, एलएचवी, एमपीएस,एमआई द्वारा प्रतिदिन किए जाने वाले कार्य बाधित होंगे जिसमें विवाह गर्भवती पुंजीयन, जन्म मृत्यु पंजीयन, हाईरिस्क गर्भवती देखभाल, शिशु टीकाकरण कार्यक्रम, महिला-पुरूष नसबंदी, प्रसव पूर्व व पश्चात सेवाएं, मलेरिया, डेंगू, ओपीडी, महिला स्वास्थ्य शिविर, आपातकालीन प्राथमिक उपचार, जननी सेवा आदि प्रभावित होंगे साथ ही 11 मार्च से राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान भी बाधित होगा। संघ प्रवीण मालवी ने बताया कि विगत कई वर्षो से संघ शासन की उपेक्षा के शिकार हुए हैं और लगातार अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहें हैं हम लोग ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर देश में मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर सकल प्रजनन दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। जिसे किसी भी हालात में नकारा नहीं जा सकता है। संघ ने कहा कि वेतन विसंगति दूर की जाए जिससे कर्मचारी अपनी ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से जारी रख सके। संघ के जिला अध्यक्ष संजय ठाकुर ने जिले के समस्त एएनएम, एमपीडब्ल्यु, एमपीडब्ल्यु, बईई, एमपीएस,एमआई से जिला स्तर पर हड़ताल में शामिल होने की अपील की है।
पहले भी संघर्ष कर उठाई थी मांगे
संघ द्वारा मुख्य मांग वेतन विसंगति एवं अन्य मांगों को लेकर 6 मार्च 2016 से 15 मार्च 2016 तक प्रदेश व्यापी हड़ताल की गई थी। जिसमें स्वास्थ्य मंत्री, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य आयुक्त, संचालक द्वारा लिखित पत्र देकर समिति गठित की गई थी। जिसमें तीन माह के अंदर निराकरण की बात की गई थी परन्तु आज तक वेतन विसंगति का निराकरण नहीं हो पाया है। संघ द्वारा शासन का ध्यानाकर्षण कराने के लिए 5 फरवरी 2018 से 11 फरवरी तक प्रदेश स्तर पर क्रमिक भूख हड़ताल की गई थी। इसके पश्चात 26 फरवरी को पं्रात स्तर पर रैली निकाली गई, 27 फरवरी 2018 को स्वास्थ्य मंत्री और 28 फरवरी को रैली के माध्यम से मुख्यमंत्री को विधानसभा में ज्ञापन सौंपा गया। इसके पश्चात भी शासन प्रशासन द्वारा हमारी मांगों का निराकरण नहीं किया गया।