ताप्ती नदी के किनारे पहाडिय़ों पर पर हो ताप्ती अवतरण, पहाडिय़ो पर बनवाई जाए नालियां और खोदी जाएं खंतियाँ ताकि बरसाती पानी धीरे धीरे जमीन पर उतर सके और बह सकेगी अविरल
बैतूल, जिला मुख्यालय पर पहली बार हुई जिला स्तरीय ताप्ती जल ससंद में जिले के भाजपा की सासंद से लेकर नगर निकायों के वार्डो एवं ग्राम पंचायतो के एक भी पंच तक नहीं आए इसके बावजूद भी ताप्ती पर विचारो का जबरदस्त मंथन हुआ। माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति मध्यप्रदेश एवं माँ ताप्ती जागृति मंच बैतूल द्वारा आयोजित जिला स्तरीय ताप्ती जल संसद में बैतूल जिला मुख्यालय पर स्थित शहीद भवन के खुले परिसर में बौद्ध पूर्णिमा के पूर्व की संध्या पर पूर्णिमा के प्रकाश में ताप्ती जल संसद चलती रही। ताप्ती के जल प्रवाह को बढ़ाने के लिए अल्पसंख्यक समाज के अकबर भाई का सुझाव सबने सराहा और उसके लिए उनका आभार माना। सोनाघाटी पर गंगा अवतरण के नाम पर खोदी जा रही खंतियों पर अपनी सोच को प्रगट करते हुए पंकज टेंट हाऊस के संचालक अकबर भाई ने शादी – विवाह के मौसम में अपनी रोजी – रोटी टेन्ट हाऊस के काम के बदले ताप्ती के जल संकट पर चल रहे वैचारिक मंथन के लिए समय निकाला। श्री अकबर भाई ने कहा कि मैं किसान नहीं हूं इसके बाद भी मेरा ऐसा मानना है कि ताप्ती निर्मल बह सकती है यदि ताप्ती के किनारे पहाडिय़ों पर गहरी नालियां और राऊण्ड अप में खंतियां खोदी जाए। इन पहाडिय़ों पर बड़े न सही छोटे – छोटे तालाबो का निमार्ण होता है तो उसमें बरसात के मौसम का पूरा पानी धरती में समाहित होगा ही साथ – साथ ओव्हर फ्लो होने की स्थिति में पानी एक दुसरे में जा सके। ऐसा करने से ताप्ती की आसपास की पहाडिय़ो पर बरसाती पानी पूरी तरह छोटी – छोटी नदियों, नालो, झरनो से तेजी से उतर कर बह नहीं सकेगा।
में बारी – बारी से जमा होगा और एक समय ऐसा आएगा जब सब भर जाएगें तब अपने आप पहाडिय़ों से पानी की जलधारा फूट पडेगी। ऐसा तब होगा जब बरसात जाने को होगी और पहाडिय़ों से पानी का झलकना शुरू हो जाएगा। पहाडिय़ों से ऐसा करने से प्राकृतिक झरनो का भी निमार्ण होगा और जंगलो में वन्य प्राणियों की प्यासे कंठो की प्यास बुझेगी। स्वतंत्र पत्रकार एवं सोशल मीडिया पर जल संकट को एक मुहीम बनाने वाले लक्ष्मी नारायण साहू ने इस बताया के ताप्ती और नर्मदा दोनो में क्या भिन्नता है। श्री साहू ने इस बात पर जोर दिया कि बैतूल में गंगा के अवतरण की जगह ताप्ती के अवतरण को महत्व मिले। ताप्ती घाटी के आसपास की पहाडिय़ो पर सरकारी मिशनरी मनरेगा या पंच परमेश्वर जैसी योजनाओं से जल के संग्रहण केन्द्रो का निमार्ण करे ताकि ताप्ती निर्मल और अविरल बहने लगे। श्री साहू ने कहा कि हमें देश में अकबर भाई जैसे लोगो की जरूरत है जो ताप्ती का और पानी का महत्व समझते है। आकशवाणी केन्द्र के एंकर एवं खेती एवं कृषि कार्यक्रम संयोजक ताप्ती भक्त राकेश मौर्य ने ताप्ती के निरतंर बहने के लिए अपने विचारो में ताप्ती नदी को प्रदुषण मुक्त बहाने पर जोर दिया। श्री मौर्य ने ताप्ती की साफ – सफाई को विशेष महत्व देते हुए बताया कि ताप्ती अविरल तब बी सकेगी जब उसमें पड़ी गदंगी उसकी बहती धारा को रोकने का काम न कर सके। ताप्ती के किनारे बड़ पैमाने पर पौधा रोपण को संकल्प के रूप में तथा पौधे को पेड़ बनाने तक की जवाबदेही लेने पर जोर दिया। ताप्ती पर छोटे – छोटे बैराजो के निमार्ण को जल संग्रहण के साथ – साथ अविरल बहती ताप्ती के लिए फायदेमंद बताते हुए श्री मौर्य ने कहा कि ताप्ती से लोग जुड़े इस बात का प्रयास कर सके। ग्राम रोंढ़ा से पाए किसान आन्दोलन के सूत्रधार तरूण पाठा ने बताया कि आज गांव का किसान ताप्ती के पानी की उम्मीद में जी रहा है। गांवो तक सुखे खेत और खलिहानो की चिंता करते हुए हमें ताप्ती जल गांव तक पहुंचाने के लिए से पहल करनी चाहिए। ताप्ती जल को लेकर बैतूल विधानसभा के 23 गंावो में पारसडोह बांध निमार्ण के लिए बनी आन्दोलन समिति के माध्यम से जागरूकता फैलाने का काम कर रहे तरूण पाठा ने इस बात पर जोर दिया कि चुनावो में वादो और घोषणाओं में ताप्ती को लेकर किसी प्रकार का भ्रमजाल न फैलाया जाए। ताप्ती के केचमेंट एरिया में बढ़ोत्तरी की वकालत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार आनंद सोनी ने ताप्ती के घाटो के निमार्ण के जन सहयोग की बात पर जोर दिया।
श्री सोनी ने कहा कि ताप्ती के नाम पर भाषणबाजी के बदले काम हो। ताप्ती जल संकट पर श्री सोनी ने कहा कि हम यदि अपने बुर्जगो की सीख को मान कर चलते तो आज ताप्ती जल संकट देखने को नहीं मिलता। ताप्ती के अविरल बहने पर समाज के लोगो में जागृति के अभाव को श्री सोनी जिम्मेदार मानते है। अधिवक्ता एवं मानव अधिकारो की लड़ाई लडऩे वाले संजय शुक्ला पप्पी ने कहा कि ताप्ती जल के संग्रहण के लिए बड़े बांधो के निमार्ण पर जोर दिया जाना चाहिए। श्री शुक्ला ने कहा कि डूब में आने वाले ग्रामिण एवं किसानो को ताप्ती के किनारे ही अपी बची बाकी जमीन पर ऐसा कुछ करना चाहिए कि उन्हे ताप्ती का जल मोटर पम्प लगा कर लेने के बजाय अपने खेतो में तालाब या गहरे गडडे खोदना चाहिए जो ऊपर से ढ़के भी हो बरसात में इनमें जमा पानी से जमीन में नमी रहेगी तथा पानी का रिसाव नदी में होगा। अपने खेतो के आसपास के नालो पर यदि व्यक्ति सरकारी मदद के बिना स्वंय अपने परिश्रम से बारी बंधान या जल रोको अभियान को चलाए तो वह स्वंय आत्म निर्भर होगा अपने खेतो और पशुओं की प्यास बुझाने के लिए। इस अवसर बैतूल नागरिक सहकारी बैंक के संचालक मनीष धोटे ने अपने विचारो में इस बात पर जोर दिया कि गांव – गांव में ताप्ती जागृति समिति बनाई जाए। अपनी कूची से रंगीन चित्रो को सजीवता प्रदान करने वाले चित्रकार एवं आरटीआई एक्टीविस्ट संजय डफरे बाबा ने कहा कि जल संकट लोगो को लगता है क्योकि यह पैदा किया गया है। उन्होने दो उदाहरण बताते जो कि बैतूल में जल संकट के मुँह पर करारा तमाचा है। श्री डफरे के अनुसार जिला मुख्यालय पर आरडी पब्लिक स्कूल में आधा दर्जन टयूबवेल के बोर करवाये गए लेकिन सभी सूखे चले गए लेकिन स्कूल से 25 एवं 50 फट की दूरी पर कोशे जी एवं पात्रीकार जी ने अपने मकान के लिए सेफ्टीटैंक खुदवाये लेकिन पानी इतना निकला कि आज वे कुआं का रूप ले चुके है।
लबालब पानी से भरे इन कुओं का उपयोग सार्वजनिक रूप से लोगोद्वारा किया जा रहा है। श्री डफरे ने बताया कि 50 इंज बारीश होने के बाद कुओं से ओव्हर फ्लो होता है। श्री डफरे ने कहा कि जल समस्या का निदान हो सकता है यदि सरकारी भवनो से लेकर आम आदमी तक अपनी छत का बरसाती पानी बहने न दे और पूरा पानी उसी जमीन में जाने दे जहां से वह बारह महीनो निकलता है। ग्राम रोंढ़ा से प्रतिवर्ष ताप्ती दर्शन यात्रा में मुलताई से सूरत तक पदयात्रा करने वाले श्री कालभोर ने कहा कि ताप्ती नदी में जल संकट सिर्फ बैतूल जिले में ही दिखाई देता है। बैतूल जिले की नदियों का पूरा पानी प्रदेश के पड़ौसी रा’यों के लिए विकास की नई – नई गाथाएं लिख रहा है लेकिन वही पानी सहेजने के अभाव में बैतूल जिले में जल संकट के रूप में समय – समय सुरसा की तरह मुँह फाड़े खड़ा हो जाता है। कार्यक्रम में परिसर क्षेत्र की कन्या बालिका छात्रावास की अधीक्षिका ने कहा कि वे भी स्कूल की छात्राओं के संग ताप्ती पर बोरी बंधान एवं ताप्ती की साफ – सफाई के लिए काम करने को तैयार है। अवकाश के दिनो में हम ऐसा करने जा रहे है। कार्यक्रम में माृतश्री सेवा संस्थान के संस्थापक मनोज विष्ट ने जल संसद को एक सार्थक पहल बताया। जल संसद में इंडियन फेडरेशन आफ वर्कींग जर्नलिस्ट के जिलाध्यक्ष राज मालवीय भी विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामकिशोर पंवार ने किया तथा आभार प्रदर्शन समिति की ओर से दुर्गेश मालवीय ने किया।