एक तरफ तो पूत्र वियोग से बिलख रही माता,
उस पर तुमको कैसे स्वाद जीभ को भाता
मुलताई। हिन्दु उत्सव समिति बैतूल के तत्वाधान में जिले भर में मृतक भोज के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें विभिन्न समाजों के अध्यक्षों एवं प्रतिनिधियों ने आज की इस बैठक में मृतक भोज की क्या आवश्यकता ? विषय पर परिचर्चा में अपने विचार रखे। इस अवसर पर हिन्दु उत्सव समिति के अध्यक्ष गोपाल साहू ने कहा लोग बडप्पन दिखाने के लिये या नाक ऊंची रखने के उद्देश्य से ऐसा करते हैं मृतक भोज में यही भावना काम करती है। जब अन्य लोगों ने अपने बाप-दादा के मरने पर इतना बड़ा भोज दिया तो हमको भी देना चाहिये, हम नहीं करेंगे तो हमारी बदनामी होगी, लोग कंजूस या कंगाल समझेंगे इस डर से लोग मृत्यु भोज कर डालते हैं। समिति के उपाध्यक्ष उमेश यादव ने कहा कि कई बार यह होता है कि हम मृतक भोजों में पूड़ी, मिठाई खा चुके है तो हमको भी लोगों को खिलाना चाहिये। इसके पश्चात विभिन्न समाज के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे और संकल्प लिया कि वे मृतक भोज तीसरा, दसवां, तेरव्ही की श्रद्धांजली सभा में भाग लेंगे,मृतक भोज में नहीं।
किसने क्या कहा
संजय अग्रवाल, अग्रवाल समाज से – हमारा कत्र्तव्य है कि हम समय के साथ चले और मृत आत्मा पर जो कुछ खर्च करना चाहते है उसे इस ढंग से खर्च करे कि समाज व देश का भला हो।
श्रीमति राजरानी परिहार, राजपूत समाज से- हमारे देश में वसीयत लिखने की परंपरा है जीते जी यह लिख दिया जाना चाहिये कि मेरा मृतक भोज न करें।
अर्चना जैन, जैन समाज से हमें मृतक भोज की वर्तमान प्रणाली का निषेध करना चाहिए क्योंकि ये सार हीन है।
मनीष शर्मा, ब्राह्मण समाज से- मृतक संस्कार एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया है जिसमें दिखावे का भाव न रहना ही दिवंगत स्वजन के लिए लाभादायक है।
नील कुमार नागले, महार समाज से- समाज के लोगों को कुछ ऐसा काम करना चाहिये कि मृत्यु के बाद अस्पताल, वृद्धाआश्रम में दान कर देना चहिये, यह सेवा लोगों को खिलाने से पुण्य दायी है।
गौर सिंह रघुवंशी, रघुवंशी समाज से- शास्त्रों में मृत आत्मा की शांति के लिए हवन, ईश्वर प्रार्थना श्रद्धांजली अर्पण का विधान बताया गया है। इन कृत्यों को ही पूर्ण शांति व मनोयोग से करना चाहिये।
यादव राव निंबालकर, सेन समाज से- जो लोग आर्थिक दृष्टि सं संपन्न है वे मृतक भोज न कर मृत परिजन की स्मृति में जल शाला, धर्मशाला, स्कूल, पुस्तकालय की व्यवस्था कर पुण्य प्राप्त कर सकते है।
दिपेश बोथरा- मृतक भोज के द्वारा मृतात्मा की सदगति की कल्पना तो ऐसे निरर्थक अपव्यय से किसी भी प्रकार से नहीं की जा सकती है।
विजय यादव, यादव समाज से- ऐसी कल्पना की जाती है कि मरने के बाद मृतक भोज कराने से मृत आत्मा के पाप मिट जाऐंगे यह कोरी कल्पना है।
इस परिचर्चा में नाथूराम पवांर, भीमसिंह चंदेल, रामदास देशमुख आदि शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
सारनी,घोड़ाडोंगरी में 9 दिसम्बर को होगी परिचर्चा
हिन्दु उत्सव समिति के अध्यक्ष गोपाल साहू ने बताया कि 9 दिसम्बर दिन रविवार को सारनी में दोपहर 12 बजे एवं घोड़ाडोंगरी में 3 बजे सभी समाजों की मृतक भोज पर एक परिचर्चा का आयोजन किया जावेगा। जिसमें सभी समाजों के जिला अध्यक्षों एवं समाज प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर मृतक भोज की निषेध पर परिचर्चा की जावेगी।