फिल्म संजु को रणबीर कपूर ने सिर्फ अपने कंधों पर वैतरणी पार करवा दी। फिल्म संजय दत्त की बायोपिक पर आधारित है परन्तु इसमें कुछ भी ‘अनटोल्ड स्टोरीÓ जैसा कुछ नहीं था। पूरी फिल्म में जो दिखाया गया उससे कहीं ‘यादा दर्शक संजय दत्त के विषय में जानते हैं। फिल्म फकत संजय दत्त की छवि को मांजने का जरिया दिखी। फिल्म का सबसे अहम पात्र बाला साहेब ठाकरे नदारद थे जिन्होने संजय दत्त को छुड़वाने में महत्ती भूमिका निभाई थी। बायोपिक अगर साफगाई से नहीं बनाने का जिगर हो तो, न ही बनाना ही बेहतर है। फिल्म में संजय दत्त मानता है कि अंडर वल्र्ड से रिश्ते और उसके हथियार रखने उसकी मजबूरी है और स्वरक्षा के लिए वह यह कर रहा है। उसी दौर में अमिताभ ब”ान, अनिल कपूर, जैकी श्राफ जैसे और भी कलाकार थे जो अंडर वल्र्ड के गटर में नहीं डूबे।
संजय दत्त दूध पीते ब”ो नहीं थे जिन्हें पता न हो कि एके 57 रखने के क्या परिणाम हो सकते हैं। संजय दत्त को ड्रग लेने के कारणों का भी भी स”ाा खुलासा नहीं किया गया है। उस में खबरे छपती थी कि संजय दत्त स्कूल के दिनों में अपनी मां नर्गिस और राजकपूर के किस्सों से विचलित हो जाते थे। यह भी एक पुख्ता कारण हो सकता है संजय के ड्रग लेने का। स्मृति में भलीभांती अंकित है जब संजय दत्त को सजा होने पर मुंबई के पूर्व कमिश्नर ने कहा था कि ऐसे फैसलों से आम लोगों का भरोसा न्याय व्यवस्था पर बड़ता है। सड़क, साजन, कब्जा और थानेदार जैसी सुपरहिट फिल्में देने के बाद संजय दत्त एक स्थापित नायक बन गए थे फिर क्यों असफलताओं और विपत्ती पर फतह हासिल करने के बाद भी अंडर वल्र्ड से जुड़ते चले गए। गोया की विपत्ति सिर्फ दिल तक आकर रूक जाती है और सफलता दिमाग पर चढ़ जाती है।
संजय दत्त अपनी सफलता को साध नहीं पाए। सफलता के साथ कैसे जिसा जाता है यह अमिताभ और सचिन तेंदुलकर से सीखा जा सकता है। उन्होने कभी नहीं कहा कि वे नंबर वन है। छुटभैये जरूर अपना तारूफ कराते है कि ‘जानते हो मैं कौन हूंÓ। सुनील दत्त जैसे बरगद के पेड़ के नीचे संजय दत्त नाम का पौधा पनप नहीं पाया। कुछ लोगों में स्याह दुनिया के प्रति खासा आकर्षण होता है, संजय दत्त भी उसका शिकार थे। उस दौर में युवा अपने कमरे की दीवार पर संजय दत्ता का पोस्टर लगाते थे, इस लेख का लेखक भी उन्हीं में से एक था। संजय दत्त अपने आचरण पर अंकुश नहीं लगा पाए और अपने शिखर दिनों को हवालात में खपा दिया। न्यायालय ने उन्हें कभी बाइ”ात बरी नहीं किया, परन्तु फिल्म उसे नादान बताती है। दर्शक आतूर थे संजय दत्त की जिंदगी के कई अनछुए पहलुओं को जानने के लिए, परन्तु धोखा खा गए।