क्षत्रिय राठौर समाज के कार्यक्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा।
हल्दी-कुमकुम के अवसर पर निकाली विशाल वाहन रैली।
फोटो। वाहन रैली निकाली।
फोटो। हल्दी कुमकुम कार्यक्रम हुआ।
बैतूल। क्षत्रिय राठौर समाज द्वारा रविवार भग्गूढाना स्थित इंटरनेशनल स्कूल में समाज का हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर महिलाओं और युवतियों ने विशाल वाहन रैली निकाली। कार्यक्रम में गांव-गांव से हजारों की संख्या में महिलाएं शामिल हुए। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
कार्यक्रम में समाज की प्रदेश महिला उपाध्यक्ष इंदौर से आई गीता राठौर ने कहा कि कार्यक्रम में महिलाओं की संख्या देख बहुत खुशी हो रही है। महानगरों में भी महिलाएं घर से नहीं निकलती है। उन्होंने कहा कि समाज की महिलाएं एकजुट हो जाए तो फिर हमारे समाज के विकास में और गति लाई जा सकती है। उन्होंने समाज की महिला अध्यक्ष सुनीला राठौर,उपाध्यक्ष रजनी राठौर,मीना राठौर और समाज के जिलाध्यक्ष अनिल राठौर द्वारा कार्यक्रम को लेकर किए प्रयास की सराहना की। इस अवसर पर समाज की महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। महिलाओं और युवती की प्रस्तुति पर सभी मुग्ध हो गए। अतिथियों को प्रतीक चिंह प्रदान किए गए। कार्यक्रम में समाज के जिलाध्यक्ष अनिल राठौर ने कहा कि समाज की ओर से पहली बार वाहन रैली निकाली गई। कार्यक्रम में महिलाओं की अधिक संख्या देखकर बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। महिलाएं एकजुट हो जाए तो हमारा समाज सबसे सशक्त समाज हो सकता है। इसके लिए समाज के सभी लोगों को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा। राठौर ने कहा कि इस कार्यक्रम में समाज की महिलाओं ने ही पूरी मेहनत की है। जिससे कार्यक्रम सफल हो सका है। उन्होंने कहा कि आगे भी इस तरह से कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
वाहन रैली निकाली
समाज की महिलाओं द्वारा पहली बार महिला संशक्तिकरण को लेकर रैली निकाली। समाज की सभी महिलाएं साफा पहनकर रैली में शामिल हुई। भग्गूढाना स्थित इंटरनेशनल स्कूल से रैली शुरू हुई। गंज, कारगिल चौक,टिकारी, लल्ली चौक, कोठीबाजार होते हुए वापस स्कूल पहुंची। इस दौरान कारगिल चौक पर वीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया है।
गांव-गांव से आई महिलाएं
समाज के जिलाध्यक्ष अनिल राठौर ने बताया कि हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम में पहली बार समाज की महिलाएं गांव-गांव से बैतूल पहुंची। गंज, टिकारी,बडोरा, बैतूलबाजार, सातनेर, खेड़ीसांवलीगढ़, पाढर और खंडारा से अधिक संख्या में महिलाएं शामिल हुई।
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