पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने आदेश जारी किया है जिसमें पाकिस्तानी विश्व कप के दौरान अपनी पत्नियों को साथ नहीं रख सकेंगे। भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने निर्देशानुसार भारतीय टीम के खिलाड़ी विश्व कप के शुरू के 20 दिनों तक अपनी पत्नी को साथ नहीं रख सकते हैं। कायदे से यह क्रिकेट का कॉलम है पर यह प्रश्न विषय क्रिकेट से संबंधित नहीं होते हुए अपनी अप्रत्यक्ष उपस्थिति दर्ज करवाता है। इस फैसले के लिए शायद बोर्ड के अधिकारी मानते है कि इससे खिलाडिय़ों का क्रिकेट पर से फोकस हट सकता है। यह एक बहुत ही अलहदा सवाल है जिसका जवाब एक महिला शायद ज्यादा बेहतर दे सकती है। क्रिकेट बोर्ड के इस फरमान पर महिला साहित्यकारों की राय।
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विश्व कप की आहट सुनाई दे रही है और साथ ही क्रिकेट प्रेमियों सहित देशवासियों की धड़कने बडऩे लगी हैं। सन् 2011 का मंजर निगाहों में है जब शान से कप उठाए हुए हमारी क्रिकेट टीम। पिछले गैप के बाद फिर उन पर उम्मीदें टिकी है। अधिकत्तर खिलाड़ी शादी शुदा है। ऐसे में क्रिकेट सीजन लम्बा चलता है उन्हें अपनी पत्नी को साथ ले जाने की इजाजत मिलनी चाहिए या नहीं? इस विषय में सभी के अपने अलग-अलग विचार हो सकते हैं। मेरे विचार से अगर वो जाती है तो इससे कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। ये तो हम क्रिकेट प्रेमी जनता ही हैं जो खिलाड़ी के शून्य पर आउट होने पर सारा दोष पावेलियन में बैठी पत्नी के सिर मढ़ देते हैं। मेरे ख्याल से आज की तारीख मे क्रिकेट इतना प्रोफेशनल हो गाया है कि उनके साथ जाने से कोई बाधा नहीं होगी साथ ही पत्नी होगी तो खिलाड़ी को मोरल सपोर्ट मिलेगा।
– गुंजन खंडेलवाल
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खिलाडिय़ों को उनकी पत्नियों को साथ ले जाने की इजाजत मिलनी चाहिए थी। पत्नी के रूप में एक महिला अपने पति की दोस्त होने के साथ उसकी मार्गदर्शक भी होती है और उग्रता से गलती हो सकती है और आग्रह संकल्पित करता है। जब हम परिवार से दूर रहते हैं तो एक खालीपन लगता है। यह हमारी सहजता और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है। यदि पत्नी साथ दे तो उसकी शुभेच्छिक भावनाएं असफलता को भी सफलता में परिवर्तित कर देगी। दूसरों की आलोचना आपका मनोबल तोड़ सकती है और पत्नी का साथ आपको उर्जा प्रदान कर संघर्ष के साथ सफलता के लिए प्रेरित करता है।
– मीरा एंथोनी
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मेरे दृष्टीकोण से परिवार को साथ ले जाना उचित नहीं है, लाजमी है कि इससे खिलाडिय़ों का ध्यान भंग हो सकता है। विश्वकप क्रिकेट की सबसे महत्वपूर्ण स्पर्धा है जहां खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ देने जाते हैं ना कि किसी हॉलीडे ट्रिप पर। विश्व कप जीतने के लिए एकाग्रचित होकर परिश्रम और सिर्फ परिश्रम की आवश्कता होती है। ऐसे समय में खिलाडिय़ों का ध्यान विश्व विजय होने पर ही होना चाहिए लक्ष्य सिर्फ एक ही होना चाहिए। ये चयनित खिलाड़ी करोड़ों में एक हैं जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिस पर खरा उतरना उनका कर्तव्य है। खिलाडिय़ों को तनाव से दूर करने के लिए टीम प्रबंधन में आजकल योगा, ध्यान, बे्रन बुस्टर आदि को शामिल किया गया है। आज दुनिया सिमट कर छोटी हो गई है परिवार पास हो या दूर वह आपकी शक्ति है और रहेगा। वो आपका हमेशा मनोबल बड़ाता रहेगा।
डॉ.अर्चना भार्गव
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मेरा मनाना है कि खिलाडिय़ों को अपनी पत्नी को साथ में नहीं ले जाने देने का बोर्ड का निर्णय सही है, क्योंकि इससे खिलाडिय़ों की एकाग्रता भंग हो सकती है। खिलाड़ी विदेश में लम्बे दौरे पर जाते हैं तो वहां के मौसम के मुताबिक ढलने के लिए अतिरिक्त प्रेक्टिस करनी पड़ी है। पत्नी साथ होगी तो उन्हें समय देने के लिए कुछ समझौता करना पड़ सकता है साथ ही दुविधा और कशमकश रहेगी। विश्व कप के दौरान खिलाडिय़ों पर पूरे देश की निगाह होती है। मेरा मानना है कि खिलाड़ी अपने देश के लिए शतप्रतिशत देने के लिए प्रयास करते हैं ऐसे में परिवार के साथ होने पर ध्यान भटक सकता है। हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह विश्व कप में खेले और हर क्रिकेट प्रेमी की तमन्ना होती है कि उसकी टीम विश्व विजय हो। ऐसे में इतनी बड़ी सफलता के लिए यह त्याग तो करना ही होगा।
-उषा अग्रवाल
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1996 में पाकिस्तान के बल्लेबाज शाहिद आफरीदी का पर्दापण हुआ। वे जिस बैट से अभ्यास सत्र में बैटिंग कर रहे थे वो उनको सूट नहीं कर रहा था। उस समय पाकिस्तान के तेज गेंदबाज वकार यूनूस ने उन्हें एक बैट उपलब्ध कराया जिस बैट से श्रीलंका के खिलाफ आफरीदी ने ग्यारह छक्के और 4 चौके की मदद से 37 गेंदों पर शतक बनाया। आपको पता है, वकार यूनूस ने जो बैट दिया था वो किसका था.. वह बैट दुनिया के महानतम् बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का था जिसे सचिन ने वकार को गिफ्ट किया था।
-एक्सट्रा कवर