बैतूल। पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज सिकंदर बत सहित पाकिस्तान के पूर्व खिलाडिय़ों जिसमें बासित अली, आमीर सौहेल आदि शामिल है ने आरोप लगाया है भारतीय टीम इंग्लैड के विरूद्ध जानबूझकर मैच हारी है जिससे पाकिस्तान विश्व कप से बाहर हो जाए। बत ने इसके आगे बढ़ते हुए कहा कि इसके एवज में भारतीय टीम से भारी धन राशि ली है। कपोल कल्पना है पर हो सकता है कि भारतीय टीम जानबूझकर मैच हारी हो परन्तु धन राशि लेने का आरोप लगाना खिसयाई बिल्ली का खंबे लोचना जैसा है। पाकिस्तान विश्व के ठीक पहले लगातार सिरीज हार रहा था और उस लिहाज से पाकिस्तान का इस विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन रहा है। बत सहित पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ीयों में एक जन्मजात कमी है जिसके चलते वह हारी हुई पाकिस्तान टीम को कोसते रहते हैं अब वे भारत को कोस रहें हैं। बेहतर होगा कि पाकिस्तान अपने बेसिक स्टे्रक्चर जिसे प्रथम श्रेणी क्रिकेट कहा जाता है उस पर ध्यान दे। पाकिस्तान टीम हमेशा से सट्टेबाजी में लिप्त रही है गोया की सावन के अंधे को हमेशा हरा ही नजर आता है। बख्त अच्छी तरह जानते हैं कि भारतीय क्रिकेटर जम के धन कूट रहें हैं उन्हें इन तरह के ‘नैतिक अपराधÓ की आवश्यकता नहीं है।
बत का यह बयान पाकिस्तान की खोखली होती मानसिकता को भी दर्शाता है। दरअसल पाकिस्तान कंगाल हो चुका है सुरक्षा कारणों से किसी भी मुल्क की टीम यहां मैच नहीं खेल रही है। बेरोजगारी, कट्टरवाद, आंतक और निराशा के साय में वहां के आवाम का उनकी क्रिकेट टीम का विश्व कप में अच्छे प्रदर्शन की उमीद ही पाकिस्तानियों को खुशनुमा मुगालते में रखती है। उसी उम्मीद पर इंग्लैड की जीत ने कोठाराघात किया है। आईसीसी को सिकंदर बख्त के बयान को संज्ञान में लेते हुए उन्हें कभी भी आईसीसी के पद पर और कामेंट्री पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जब तक की बख्त प्रमाणित नहीं कर देते हैं कि भारत पैसे लेकर हारा है। परन्तु भारत-इंग्लैड मैचे में हास्यबोध जरूर था जिसमें पाकिस्तानी मैदान पर इंडिया-इंडिया चिल्ला रहे थे की मैच भारत जीत जाए। पाकिस्तानी गायकी सलमा आगा ने शायद इन्हीं समर्थकों के लिए गाया था कि ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए, हम वफा करके भी तन्हा रह गए, शायद उनका आखिरी को यह सितम, हमर सितम यह सोच कर हम सह गएÓ। पाकिस्तान के हालात नहीं सुधरे तो और भी सितम झेलने पड़ेंगे। कोसने से हाथी की चाल पर फर्क नहीं पड़ता।