बैतूल। मनुष्य जन्म से माता-पिता का ऋणि होता है इसलिए अश्विनी मास कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक पितरों के श्राद्ध की परंपरा है। 12 माह के मध्य छटे माह में 16 दिन का पितृ पक्ष मनाया जाता है। हमें सीधे खड़े रहने के लिए रीढ़ की हड्डी का मजबूत होना आवश्यक है, जिससे हमारे शरीर को पहचान मिलती है उसी तरह हमारे माता-पिता से ही हमें अस्तित्व मिलता है। पितरों का आर्शीवाद के लिए वर्ष के मध्य अपने पूर्वजों को अवश्य याद करें और श्राद्ध के रूप में उनका धन्यवाद कर श्रद्धांजली दें क्योंकि मोक्ष की कामना हेतु पितृ इस समय परिजनों के निकट आते हैं और पुत्र तथा पौत्र द्वारा श्राद्ध के पुण्य से मोक्ष प्राप्त करते हैं। यह बात स्व.चिंधुलाल, स्व.महेन्द्र राठौर की स्मृति में विनोबा वार्ड बैतूल में चल रही संगीतमय भागवत कथा के तीसरे दिवस पंडित सुखदेव शर्मा ने कही। आयोजक धमेन्द्र राठौर ने बताया कि कथा 21 सितम्बर तक कथा प्रतिदिन दोपहर में 2 बजे से 5 बजे तक की जाएगी। अमृता राठौर ने सभी से कथा लाभ लेने का आग्रह किया है।