विश्व हिन्दू परिषद धर्म प्रसाद विभाग बैतूल द्वारा विवेकानंद वार्ड में प्रांत सहधर्म प्रसार प्रमुख भूपेन्द्र पंवार ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने जब प्रमुख नेताओं को तुष्टीकरण की घातक नीति अपनाते देखा तो उन्हें लगा कि यह नीति आगे चलकर राष्ट्र के लिए विघटनकारी सिद्ध होगी। स्वामी जी ने असंख्य व्यक्तियों को आर्य समाज के माध्यम से पुन: वैदिक धर्म में दीक्षित कराया। उनने गैर-हिन्दुओं को पुन: अपने मूल धर्म में लाने के लिये शुद्धि नामक आन्दोलन चलाया और बहुत से लोगों को पुन: हिन्दू धर्म में दीक्षित किया। स्वामी श्रद्धानन्द पक्के आर्यसमाज के सदस्य थे। प्रांत कार्यकारिणी सदस्य मनोहर लोखंडे ने कहा कि वे धार्मिक व सामाजिक विषयों पर लिखते थे। बाद में स्वामी दयानन्द सरस्वती का अनुसरण करते हुए उनने देवनागरी लिपि में लिखे हिन्दी को प्राथमिकता दी।
उन्होने स्वतन्त्रता आन्दोलन में बढ-चढकर भाग लिया। गरीबों और दीन-दुखियों के उद्धार व स्त्री-शिक्षा का प्रचार किया। संचालन विभाग मातृ शक्ति प्रमुख मंजु उपासे ने व आभार नगर अध्यक्ष दयाराम माकोड़े ने व्यक्त किया। इस अवसर पर नगर सत्संग प्रमुख जमना मालवीय, विवेकानंद वार्ड प्रमुख कुसुमलाल पंवार, राजेन्द्र वार्ड प्रमुख सुरेश मालवीय, जिला प्रमुख विमला मालवीय, जिला सहप्रमुख सुनीता साहू, नगर प्रमुख जया बाई कालभोर, सुंदरलाल पंवार आदि मौजूद थे।