विवाह के लिए जन्म कुण्डली नहीं रक्त कुण्डली मैच करवायें
थैलेसीमिया एवं सिकलसेल एनीमिया पर जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन
बैतूल। ज हा शासकीय महाविद्यालय बैतूल में दिनांक 9 नवम्बर दिन शुक्रवार को साइंस फोरम एण्ड मल्टी फंग्सनल लेबोटरी व राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में थैलेसीमिया एवं सिकलसेल एनीमिया विषय पर जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में डा डब्ल्यु ए नागले सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय बैतूल, डा ए के बारंगा एम डी, डॉ एच एल कसेरा, महाविद्यालय के प्राचार्य डा सुभाष लव्हाले ने विस्तार पूर्वक जानकारी दी। डा बारंगा ने बताया कि थैलेसिमिया व सिकलवेल एनीमिया एक जैनेटिक डीसआर्डर वाली बीमारी है। जिसमें लाल रक्त कणिकाओं में आक्सीजन की कमी के कारण रेड सेल का प्रोडक्सन कम हो जाता है। जिससे आर बी सी की वाल टूट जाती है और सेल का आकार हसिया के आकार का हो जाता है जिससे आगे ब्लड नहीं पहुंच पाता है और ग्रसित होने पर मृत्यु हो सकती है। डा कसेरा ने विषय पर गंभीरता से जानकारी देते हुए इसे पिन पांइट इफेक्ट बताया। उन्होने बताया कि जिस प्रकार हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन के संपर्क में रहता है तब वह अपना कार्य करता है। इस बीमारियों के लक्षण में विशेष रूप से जोडों में बहुत दर्द होता है। इस जैनेटिक बिमारी का कोई उपचार नहीं है। बस बचाव व जानकारी ही उपाय है। सिविल सर्जन डा डब्ल्यु ए नागल ने अपने उद्बोधन में कहा कि सबसे कठिन कार्य काउंसलिंग करना है। किसी बिमारी का प्रिवेन्सन तभी हो सकता है जब तक उसकी सही तरीके से काउन्सिलिंग हो। जेनेटिक काउन्सिलिंग, इम्यूनूटो, पेंटसीस, एनालिसीस करवाना चाहिये। उन्होने इसका ट्रिटमेंट जानकारी नियंत्रित जेनेटिक काउन्सिलिंग, हेपेटाइटिस कि वेक्सिीन, हाइड्रो आक्सी यूरिया,ब्लड ट्रान्सफ्जूजन के द्वारा कम करना बताया। महाविद्यालय के प्राचार्य डा सुभाष लव्हाले ने बताया कि वे स्वयं इस क्षेत्र में रिसर्च कर रहें है। साथ ही डा कसेरा एवं प्राचार्य महोदय द्वारा महाविद्यालय में इससे संबंधित टेस्ट की सुविधा प्रारंभ की जायेगी। उन्होने बताया कि आज जन्म कुण्डली की नही अपितु रक्त कुण्डली का मैच करवाकर विवाह करना चहिये। संगोष्ठी में डा रामगोपाल वर्मा, सलील दुबे, डा गोपाल प्रसाद साहू रासेयो कार्यक्रम अधिकारी, श्री मेहता, श्री रमाकांत जोशी, श्री राकेश तिवारी, श्री निरापुरे, श्री बघेल, रासेयो छात्र राजाराम रावते, संदीप मंडाने सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। संगोष्ठी में प्राघ्यपकों सहित छात्र-छात्राओं ने अपने अपने प्रश्नों के उत्तर भी विशेषज्ञों से जाने। अंत में आभार डा रामगोपाल वर्मा ने किया|