आमला के प्रबुद्ध व बुद्धिजीवियों परिचर्चा में रखे अपने विचार
बैतूल। हिन्दु उत्सव समिति के तत्वाधान में मृत्यु भोज के विरोध में पूरे जिले में जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। जिसे लेकर आज आमला नगर के प्रबुद्ध व बुद्धिजीवी व समाज विकास की सोच रखने वाले लोगों ने आमला के महेश साहू के गाडाऊन में एक परिचर्चा में भाग लिया एवं मृतक भोज के विरोध में अपने विचार रखे। सभी समाजों के प्रतिनिधियों ने एक मत से तीसरा,दसवां एवं तेरव्ही के कार्यक्रम में भाग तो लेंगे लेकिन मृतक भोज नहीं करेंगे केवल श्रद्धांजली सभा में भाग लेकर मृतआत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करेंगें ऐसा संकल्प लिया।
इन बुद्धाजीवियों ने परिचर्चा में लिया भाग
इस परिचर्चा में समाज के सुभाष देशमुख, राजेश झा, राजू मदान, किशोर गुगनानी, केके श्रीवास्तव, राजेश दिक्षित, हेमराज विश्वकर्मा, परसराम सालक, टीएस सिसोदिया, ओंमप्रकाश सोनी, सुर्यभान दौडके, किशोर राठौर, राजकुमार परोसिया, संजय राठौर, राजीव मदान, रमेश दामले, अवध विहारी शर्मा, अशोक पाल, विजय अतुलकर, अनिल जैन, प्रकाश डाफने, बीके रैकवार, एसएस पंडागरे, शैलेन्द्र कुमार मालवीय, बल्ला राठौर, गोपाल साहू, रमेश गुगनानी, शेषराव चौकीकर, टीकमदास मोटवानी, देवीराम साहू, महेश साहू उपस्थित थे।
किसने क्या कहा
किशोर गुगनानी (पंजाबी समाज)– मृत्यु भोज की प्रथा वास्तव में समाज के कुप्रथा है। प्रियजन की मृत्यु के पश्चात 17 प्रकार का भोजन बनाकर खिलाना अशोभनीय है। ऐसी परंपरा को समाज ने नकार देना चाहिये।
सुभाष देशमुख (कुंबी समाज)– मृत्यु भोज की परंपरा को नकारना एक अच्छी पहल है यह एक पवित्र अभियान है जिसमें सभी समाजों के लोगों को मिलकर इसके खिलाफ संकल्प लेना चाहिये।
राजेश झा (वालमिकी समाज)– एक तो आर्थिक स्थिति परिवार की खराब होती है वहीं मृत्यु भोज जैसा आयोजन उसकी कमर तोड़ देता है इस बुराई को नष्ट करना जरूरी है।
अवध बिहारी शर्मा (ब्राह्मण समाज)– मृतक भोज समाज के लिये कलंक है। सामूहिक रूप से समाज के लोग श्रद्धांजली सभा में जाये और भोजन न करें। यह सामूहिक निर्णय मृत्यु भोज को मिटा सकता है।
अनिल जैन(जैन समाज)– समाज को कुप्रथाऐं मिटाने में आगे आना चाहिये। हम अच्छी परंपराओं को आत्मसात करें और कुप्रथाओं का विरोध करें।
अशोक कुमार पाल (पाल समाज)– मृत्यु भोज वास्तव में दुख का भोजन है और परिवार दुख के शोक में है और हम जीभ चाट रहें है, यह परंपरा गलत है।
लक्ष्मण चौकीकर (महार समाज)– हमें आज से ही यह संकल्प लेना चाहिये कि हम दुखी परिवार का भोजन ग्रहण नहीं करेंगे।
सूर्यभान दौडक़े (दौडक़े समाज)– हम सुधरेंगे युग सुधरेगा की कल्पना को साकर करना होगा।
हेमराज विश्वकर्मा(बढई समाज)– आज इस परिचर्चा ने हमारी आंखे खोल दी है, हम सामूहिक रूप से मृतक भोज कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे केवल श्रद्धांजली देंगे।
संजय राठौर (राठौर समाज)– इस परंपरा को हमारे समाज ने सामूहिक रूप से निर्णय लेकर बंद कर दिया है, समाज के लोग केवल श्रद्धांजली सभा में भाग लेते है।
एसएस पंडगरे – इन परंपराओं को एकदम से बंद नहीं किया जा सकता है। धीरे धीरे इस कुप्रथा को जनजाग्रती के माध्यम से दूर किया जा सकता है।
इसके पश्चात समाजसेवी किशोर गुगनानी ने समाज के बुद्धिजीवियों को संकल्प दिलाया की हम सभी संकल्प लेते है कि हम तीसरा, दसवा एवं तेरव्ही में मृतक भोज नहीं करेंगे, केवल श्रद्धांजली सभा में भाग लेंगे। कार्यक्रम का संचालन गोपाल साहू ने किया आभार रमेश गुगनानी ने माना।