डेंगू क्या है :- डेंगू संक्रामक रोग है और यह जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू एडीज मच्छर के काटने से फैलता है, यह मच्छर दिन में काटते हैं। डेंगू होने पर तेज बुखार, शरीर में दर्द, पेट में दर्द खून की उल्टी जैसी समस्यायें शुरू हो जाती हैं। सामान्य बुखार की तुलना में डेंगू ज्यादा पीड़ादायक है। डेंगू होने पर सिरदर्द, जोड़ों पर दर्द, तेज बुखार के साथ चिड़चिड़ापन होने लगता है|
बच्चों में डेंगू के लक्षण :-
बच्चें जितने मन के कोमल होते है उतने ही शरीर से भी नाजुक होते है। बच्चों की संवेदनशीलता के कारण ही वे जल्दी-जल्दी बीमार भी पड़ जाते है। डेंगू बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों के चपेट में भी बच्चे जल्दी आ जाते हैं । डेंगू वायरस से सिर्फ वयस्क ही नहीं बल्कि बच्चे भी खासा प्रभावित होते है। डेंगू का जितना खतरा व्यस्कों में रहता है, उससे कहीं अधिक बच्चों में भी रहता है। आइए जानें बच्चों में डेंगू वायरस के लक्षणों को।
डेंगू बीमारी ऐसा बुखार है जिसे महामारी के रूप में देखा जाता है। वयस्कों के मुकाबले, बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है। डेंगू के सामान्य लक्षण हैं सर दर्द, जोड़ों में मांसपेशियों में और शरीर में दर्द होना, तेज़ बुखार, चिडचिडा़पन।
डेंगू की स्थिति में मृत्युदर लगभग एक प्रतिशत है। यह बरसात के मौसम में तेज़ी से फैलता है।
आपको या आपके पड़ोसी को अगर डेंगू बुखार हो जाता है, तो इससे बचने के उपाय अपनायें। सबसे पहले रक्तजांच करायें और अपने आसपास मच्छरों से सुरक्षा के उपाय अपनायें।
डेंगू बुखार के लक्षण:-
डेंगू बुखार के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि बुखार किस प्रकार है। सामान्यत: डेंगू बुखार के लक्षण कुछ ऐसे होते हैं:
- ठंड के साथ अचानक तेज बुखार होना।
- ब्लड प्रेशर का सामान्य से बहुत कम हो जाना।
- मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना।
- सरदर्द होना।
- अत्यधिक कमजो़री महसूस होना, भूख कम लगना।
- गले में दर्द होना।
- शरीर पर रैशेज़ भी हो सकते हैं।
- डेंगू बुखार दो से चार दिनों तक रहता है।
डेंगू कैसे फैलता है:
- डेंगू बुखार उस मच्छर के काटने से होता है जिसने पहले से ही किसी डेंगू के मरीज़ को काटा है। यह मच्छर बरसात के मौसम में ज्यादा फैलते हैं और यह उन जगहों पर तेज़ी से फैलते हैं जहां पानी जमा हो ।
- यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता लेकिन उस मच्छर के काटने से होता है जिसने किसी संक्रमित व्यक्ति को काटा है।
- डेंगू उन लोगों को जल्दी प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। यह भी हो सकता है कि डेंगू बुखार एक ही व्यक्ति को कई बार हो जाये। लेकिन ऐसी स्थिति में बुखार के प्रकार भिन्न होंगे ।
- मलेरिया की तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। इन मच्छरों को ‘एडीज मच्छर’ कहते हैं और यह दिन में काटते हैं।
डेंगू से बचने के उपाय :-
- डेंगू से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है मच्छरों से बचना जिनसे कि डेंगू का वायरस फैलता है।
- ऐसे क्षेत्र जहां डेंगू फैल रहा है, वहां पानी को जमा ना होने दें। कूलर का पानी बदलें, गमले या सड़कों पर पानी जमा ना होने दें।
- बरसात में या ऐसे क्षेत्रों में जहां मच्छर हों वहां मच्छरों से बचने का हर संभव प्रयास करें।
- आप जिस क्षेत्र में रह रहे हैं वहां मच्छर अधिक हैं तो मास्कीटो रिपेलेंट का प्रयोग ज़रूर करें। अपने घर, बच्चों के स्कूल और आफिस की साफ सफाई पर भी नज़र रखें।
डेंगू में तेजी झड़ने लगते हे सिर के बाल :-
डेंगू बुखार उष्णकटिबंधीय इलाको में होने वाला एक संक्रमित रोग है जो की डेंगू के विषाणु के चार में से एक सीरोटाइप की वजह से होता है । चरम रोग विशेषग्य के हिसाब लोगो के बाल डेंगू बुखार के बाद झड आसकते है (एलोपेशिया) ।यहाँ तक की ज्यादातर घटनाओं में डेंगू के बुखार के बाद बालो का झडना सबसे आम बुरा प्रभाव माना जाता है लकिन यह डेंगू बुखार होने का भी लक्षण दर्शाता है। यह डेंगू बुखार के अन्य लक्षणों के साथ देखा जाता है जैसे की बुखार, सिरदर्द. शरीर में दर्द, त्वचा पर लाली, खुजली , त्वचा पर चकत्ते, उलटी और अत्याधिक थकान होना ।
विशेषज्ञ बताते हैं की वो लोग जो की डेंगू बुखार से सही हो जाते हैं वे अपने बालो के झड़ने की शिकायत करते है । कुछ में एक अन्य दशा हो सकती है जिसे हम तेलोजन एफ्ल्युवियम (या एलोपेशिया ) कहते है जिसमे की व्यक्ति में अत्याधिक बाल झाड़ते हैं।
एक व्यक्ति जो की डेंगू बुखार से ग्रस्त है उसमे बिमारी के दौरान एलोपेशिया या तो अपाप्चायी दवाब या किसी हारमोन की वजह से हो सकता है । यहाँ तक की दवाए जिनका प्रयोग डेंगू बुखार के उपचार के लिए किया जाता है वे भी गंजापन करा सकती है । तेलोजन का शरीर के बालो पर बुरा प्रभाव पडता है लकिन शिखा के बाल का नुक्सान तब बहुत ज्यादा आम होता है जब भी कोई डेंगू बुखार से सही हो रहा होता है या सही होने के बाद भी।
जब भी एक व्यक्ति तनाव में होता है (लगभग छे महीने के नत्राल के लिए) तो एलोपेशिया होने की सम्भावना बढ़ जाती है। डेंगू बुखार तेलोजन एफ्ल्युविं के एक कारण में से है ।ज्यादातर घटनाओं में तेलोजन एफ्ल्युवियम से सही व्यक्ति अपने आप हो जाता है ।
कैसा हो डेंगू के मरीजों का आहार :-
डेंगू बुखार एक जानलेवा बीमारी है। हर साल की तरह इस साल भी इस बीमारी के चलते कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को अपनी सेहत का खास खयाल रखना पड़ता है।
डेंगू के मरीज का आहार –
हालांकि, डेंगू मरीजों को बुखार के दौरान और उसके बाद भी किसी खास तरह का आहार देने की बात नहीं की जाती। किसी अन्य बुखार की ही तरह इसमें भी मरीज की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और कोई भी भोजन आसानी से नहीं पचता। ऐसे में मरीज को ऐसा आहार लेना चाहिए जो पचने में तो आसान हो, साथ ही पौष्टिक भी हो। डेंगू के मरीज को उबली हुयी सब्जियां, खिचड़ी, दलिया, सूप, टोस्ट, सेब, केला और चाय आदि दिया जा सकता है।
बीमारी में मरीज का मुंह और गला सूख जाता है। ऐसे में उसे इस ताजा जूस, सूप और नारियल पानी का सेवन करना चाहिए। यह उल्टी और तेज बुखार के कारण शरीर में होने वाली पानी की कमी को दूर करने में मदद करेगा।
तैलीय भोजन से परहेज ही रखें। साथ ही तेज मसालेदार भोजन भी न करें। खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए नींबू के रस का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही कुछ औषधिनुमा जड़ी-बूटियां भी स्वाद में इजाफा कर सकती हैं।
आयुर्वेद के कुछ जानकारों के अनुसार अदरक और इलायची बुखार में राहत पहुंचाते हैं। अगर इन्हें चाय में डालकर पिया जाए तो मरीज के लिए फायदेमंद साबित होता है। इसके साथ ही आयुर्वेद में पपीते के पत्तों का जूस भी डेंगू के मरीज के लिए उपयोगी बताया जाता है।
डेंगू से बचने के तरीके :-
डेंगू से बचने का एकमात्र उपाय है मच्छकरों से बचना। जैसा कि हम सभी जानते है कि डेंगु वायरस से होने वाली बीमारी है इसलिए इसके इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। सावधानी बरतें और डेंगू मच्छरों से बचें यही सबसे आसान उपाय है।
डेंगू का इलाज इससे होने वाली परेशानियों को कम कर के ही किया जा सकता है। डेंगू बुखार में आराम करना और पानी की कमी को पूरा करना बहुत ज़रूरी हो जाता है । हालांकि डेंगू बुखार को लेकर लोगो में बहुत सी गलत धारणाएं हैं और डेंगू से मौत भी निश्चित नहीं है। डेंगू बुखार से होने वाली मौतें 1 प्रतिशत से भी कम हैं। यह बीमारी अकसर एक से दो हफ्ते तक रहती है।
डेंगू फीवर से कैसे बचें-
डेंगू से बचने के लिए मच्छरों से बचना बहुत ज़रूरी है जिनसे डेंगू के वायरस फैलते हैं ।
ऐसी जगह जहां डेंगू फैल रहा है वहां पानी को जमने नहीं देना चाहिए जैसे प्लास्टिक बैग, कैन ,गमले, सड़को या कूलर में जमा पानी ।
मच्छरों से बचने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिए जैसे मच्छरदानी लगाना,पूरी बांह के कपड़े पहनना आदि। बदलते मौसम में अगर आप किसी नयी जगह पर जा रहे हैं, तो मच्छारों से बचने के उत्पादों का प्रयोग करें। आपके घर के आसपास अगर कहीं जगजमाव हो रहा है, तो वहां सफाई का खास ख्याल रखें।
मच्छर पैदा होने से रोकने का हर संभव प्रयास करें। 5 दिन से अधिक समय तक बुखार होने पर रक्तजांच ज़रूर करा लें । डेंगू से बचना है तो मच्छरों से बचें।
बच्चों में डेंगू व्यस्कों के मुकाबले अधिक तीव्रता से फैलता है। डेंगू बुखार भर मच्छरों के माध्यम से ही फैलता है।
शुरूआत में बच्चों में डेंगू के लक्षणों को पहचानने में थोड़ी दिक्कतें आती है लेकिन 3 से 4 दिन में डेंगू की पहचान आसानी से की जा सकती है।
डेंगू के लक्षण, डेंगू के प्रकार पर निर्भर करते है। डेंगू भी तीन प्रकार का होता है और इनके लक्षण व प्रभाव भी अलग-अलग होते है।
आमतौर पर बच्चोंर में होने वाले बुखार से ही डेंगू की पहचान की जाती है। यदि बच्चे में बुखार के कारण ज्ञात नहीं होते और तेज बुखार के साथ कंपकपी और शरीर में दर्द होता है तो रक्तजांच से डेंगू की पहचान की जाती है।
वयस्कों की तरह ही बच्चों के शरीर पर लाल रैशिस पड़ जाते है।
वयस्कों में लक्षण :-
- बच्चे को भूख न लगाना, मुंह का स्वाद खराब होना डेंगू के ही लक्षण है।
- सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों आदि में दर्द की शिकायत सभी डेंगू के ही लक्षण है।
- लगातार प्लेटलेट्स का स्तर का कम हो जाना।
- बच्चा बार-बार चक्कर आने की शिकयत करता है।
- कई बार डेंगू के कारण बच्चों का ब्लड प्रेशर लो हो जाता है।
- बच्चा हमेशा कमजोर और बीमार दिखाई पड़ता है, उसमें चलने-फिरने की हिम्मत नहीं रहती।
- बच्चे की खेलकूद में कोई रूचि नहीं रहती, वह आराम करने की कोशिश करता है लेकिन वह भी सही तरह से नहीं कर पाता।
- बच्चे में सामान्य बुखार होने पर भी तुरंत डॉक्टर्स से जांच करवाएं और डेंगू को फैलने से रोकने के लिए बच्चे् की समय-समय पर सामान्य जांच भी करवाते रहें।
भारत में डेंगू पर शोध:-
भारत में डेंगू बुखार एक बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्या है पिछले कुछ दशकों में भारत के लग अलग हिस्सों में डेंगू के (>५०) घटनाये सामने आई हैं । इस समस्या की गंभीरता की वजह से भारत और विश्व में कई जगह डेंगू विषाणु पर कई अध्ययन हो रहे हैं ताकि डेंगू बुखार की समस्या को समझा जा सके और इसके वाहक के पैदा होने और फैलाव की घटनाओं को जांचा जा सके , विषाणु के अध्ययन को समझा जा सके और इसके टीके का विकास किया जा सके ।
एडीस इजिप्टी मच्छर:-
डेंगू के वाहक के फैलाव और इसके पैदा होने के अध्ययनों से यह पता चला है की एडीस इजिप्टी का जनन जून में चालू होता अहि (मतलब बरसत के मौसम के शुरू होने के वक्त ) । कुछ जगह में एडीज इजिप्टी का अर्बन हाउस सूचक बारिश के पहले बारिश के बाद की अपेक्षा ज्यादा पाया गया है ।यह बारिश के पहले पानी की कमी की वजह से हो सकता अहि जिसकी वजह से ज्यदा से ज्यादा पानी इकठ्टा हो जता है जिसकी वजह से डेंगू का वाहक इंसानी जनसंख्या में बढ़ता है । यह बात की एडीज इजिप्टी सूचक जून से बढ़ता है (और कुछ हिस्सों में बारिश के मौसम से पहले) , तो इसलिए इस समय में डेंगू से बचाव और इसके निवारण के तरीके निकाले जा सकते हैं और इस समय वाहक पर निगरानी करके और बारिश के मौसम पर इसके नियंत्रण के तरीके अपना कर हम डेंगू को
नियंत्रण में रख सकते हैं ।
अगर आपको डेंगू को लेकर किसी भी तरह की कोई दुविधा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करने में कतई देर न करें।