बैतूल। हम सुबह घर में जाते है तो दिन भर में कपड़े, शरीर दोनो गंदे हो जाते हैं शाम को मुंह हाथ धोते है वैसे ही प्रतिदिन संसार के माया मोह में मन के कई विकार आते हैं जिसके लिए प्रतिदन कीर्तन करें एवं परमात्मा का ध्यान करें। प्रारब्ध से जाति,धन,ज्ञान, परिवार मिल सकता है किन्तु भजन बिना भगवान नहीं मिलेंगे। मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए नहीं ईश्वर से मिलने का भाव लेकर आए तब ईश्वर की प्राप्ति होगी। उक्त उद्गार विनोबा वार्ड शिव मंदिर में चल रही संगीतमय भागवत के तीसरे दिन पंडित सुखदेव शर्मा द्वारा आज धर्म का वर्णन करते हुए कहा कि धर्म बार-बार स्नान, पूजा, दान नहीं बल्कि सबसे बड़ा धर्म जो व्यवहार हमें अपने लिए अच्छा नहीं लगता वह हम दूसरों के साथ ना करें। दुगुर्णो को त्याग कर सतगुगणों को धारण करना ही धर्म है। मन, वाणी में संयम करना संतो गुरूजनों के चरणों को पकडने से ज्यादा आचरण पकडऩा धर्म है। अधर्म मिथ्या भाषण है, उसी से दंभ, लोभ से क्रोध, क्रोध से कर्कश वाणी और इसी से कलयुग उत्पन्न होता है। कलयुग को परास्त करने का सरल उपाय कीर्तन रूपी प्रेम है, उदाहरण देते हुए श्री शर्मा ने बताया कि पान सड़ा क्यों, घोड़ा अड़ा क्यों, रोटी जली क्यों इसका उत्तर है की उसे फेरा नहीं या अलट-पलट नहीं किया है,सतत चिंतन में मन को फेरते रहें, संसार में चार प्रकार के व्यक्ति है पहला सुपाड़ी की तरह – अंदर बाहर दोनो तरफ से कठोर, दूसरा बेर की तरह – बाहर से नरम अंदर से कठोर, तीसरा नारीयल की तरह- बाहर से कठोर अंदर से नरम, चौथा किसमिस की तरह- अंदर बाहर दोनो तरफ नरम और इतनी मीठी होती है कि सुई चुभोने पर वो सुई को भी मीठा बना देती है। इसलिए संतों को कहते है संत ह्रदय नवनीत समाना,गुरू भगवान से भेंट की दीवार नहीं सीढी है। कथा के आज बुधवार को चौथे दिवस भगवान श्रीकृष्ण के प्रागट्य की कथा उत्सव होगा, कथा दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक की जाएगी। कथा में मुकेश साहू, पवन, दिनेश नागले, मदीन पाटील संगीत सहयोग कर रहें हैं। कथा आयोजक रामकिशन साहू ने सभी से कथा में पधारने का आग्रह किया है।
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