बैतूल। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के गीत एवं नाटक प्रभाग का सुप्रसिद्ध नाटक जमुनिया बदलते भारत की तस्वीर, कलाकारों के सशक्त अभिनय और प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण से दर्शकों पर अपनी अमिट छाप छोड़ गया। सामंतवाद के चंगुल से आजाद कराकर गांव की सूरत बदलने के जमुनिया के जज्बे ने लोगों को बेहद प्रभावित किया। विशाल मंच और सैकड़ों की संख्या में कलाकारों ने गांव की तस्वीर खींच कर रख दी। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व विधायक विनोद डागा नें मशाल जलाकर कार्यक्रम का शुभांरभ किया, श्री डागा ने नाटक का भरपूर आंनद उठाया। इस अवसर पर विनोद डागा ने कहा कि जमुनिया सिर्फ किरदार तक सीमित नहीं होना चाहिए, जुमनिया हमारे सामजिक चेतना का प्रतीक है, जो बताती है अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति सजग रहें।
जमुनिया नाटक एक ऐसी नारी की कहानी है। जिसे पति की मौत के बाद गांव से निकाल दिया जाता है। उसकी जमीन ही नहीं उसका बेटा भी छिन जाता है। जमुनिया दूसरे गांव में झुल्लन के यहां शरण लेती है। इसी बीच गांव में सरपंच की सीट महिला के लिए आरक्षित हो जाती है। गांव वालों के आग्रह पर वह चुनाव लड़ती है। जमुनिया चुनाव में सामंतवाद के प्रतीक दीवान की पत्नी के मुकाबले भारी मतों के अंतर से चुनाव जीतती है। इसके बाद गांव में जो बदलाव की बयार चलती है। नाटक में दर्शाया गया कि नारी अबला नहीं है। शोषण और अत्याचार के खिलाफ अगर संघर्ष पर उतर आए तो दुनिया को बदल सकती है। नाटक के बीच-बीच ग्रामीण परिवेश में होली महोत्सव और बैशाखी के रंग कुछ इस तरह बिखरे की दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। जमुनिया के रोल में उपाधी सिंग दिल्ली और दिवान के रोल में दीपक सिंह के अभिनय की सराहना की जा रही है। गुरूजी के रोल में विनय शर्मा का किरदार भी अच्छा उबरकर सामने आता है, बाकी दंदी, फंदी,मेघा, शिल्पी, मुकंदी, जयंत की भी अपने किरदार के साद न्याय किया है। कोरियोग्राफर मनी थापा द्वारा दिया गया है। एक सप्ताह तक बैतूल में चहुंओर प्रशंसा बटोरने वाली जमुनिया का अगला पड़ाव पडोसी जिला छिंदवाड़ा होगा। जमुनिया चली गई और अपने पीछे छोड़ गई दर्द भरी दास्तां और लोगों में जमाने से लडऩे का आत्मविश्वास देकर।