बैतूल। बैतूल जिला चिकित्सालय में 5 माह में 74 बच्चों की मौत होना मप्र की भाजपा सरकार के निकम्मेपन को उजागर करती है जबकि दिल्ली की केन्द्र सरकार 4 सौ करोड रूपये प्रति वर्ष गर्भवति महिलाओं के मातृत्व लाभ के लिए भेज रही है। मातृत्व लाभ में प्रति गर्भवति महिलाओं के लिए 6000 रूपये भेज रहा है। बच्चों के कुपोषण से बचने के लिए अतिरिक्त राशि केन्द्र सरकार देते आ रही है। उसके उपरांत भी मप्र सरकार नवजात बच्चों को नहीं बचा पा रही है। मप्र में स्वास्थ्य सुविधा, स्वास्थ्य उपकरण, दवाई, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता के केन्द्र सरकार भरपूर राशि प्रदान कर रही है। यह सारी सुविधा उन गर्भवति महिलाओं तथा नवजात बच्चों तक नहीं पहुंचने का मुख्य कारण है। मप्र की भाजपा सरकार मात्र जन आशीर्वाद लेकर कुर्सी संभालने में लगी है। औसतन 74 बच्चों की मौत जिला चिकित्सालय की 5 माह की रिर्पोट है, जबकि जिला चिकित्सालय के बाहर मरने वाले नवजात बच्चों की संख्या इसमें दर्ज नहीं हैं। प्रति 2 दिन में एक नवजात बच्चे की मौत अकेले बैतूल में हो रही है। यह तमाम आरोप भाजपा सरकार पर लगाते हुए जिला कांग्रेस कमेटी बैतूल किसान एवं खेत मजदूर प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष रमेश गायकवाड़ ने कहा कि प्रदेश का मुखिया उन गर्भवती माताओं का भाई तथा उन नवजात बच्चों को मामा बनकर प्रदेश में घरो-घर पीले चावल बांटकर जनआशीर्वाद को लेकर सत्ता को पुन: संभालने में लगे हैं। मामा कंस ने तो सात नवजात बच्चों को ही मारा था आठवें को नहीं मार सका, किन्तु इस भाजपा के मामा शिवराज सिंह की लापरवाही के कारण मात्र 5 माह में 74 बच्चों की मौत अकेले बैतूल में हुई है। प्रदेश की वह सभी माताएं अब बर्दास्त नहीं करेंगी। आने वाले विधानसभा चुनाव में इस कलियुगी मामा का अंत होना तय है।