बैतूल में शतरंज खिलाडिय़ों की बड़ी है किन्तु जिला प्रशासन और नगर पालिका की उपेक्षा के कारण शतरंज खिलाडिय़ो को खेलने के लिए कोई स्थान नहीं है। जिस कारण शतरंज के अच्छे खिलाड़ी तैयार नहीं हो पा रहें हैं और अच्छे खिलाडिय़ों की पहचान नहीं हो पा रही है। इस संबंध में जिला शतरंज संघ के साथ मिलकर प्रतिध्वनि संस्था व सिक्ख यूथ विंग शतरंज खिलाडिय़ों के लिए स्थान दिलाने के लिए अभियान प्रारंभ करने जा रहे हैं।
बैतूल। बैतूल के दृष्टिहीन शिवकुमार बनखेड़े और 5 वर्ष का आर्यन सोनी भी शतरंज के लाजवाब खिलाड़ी है। बैतूल के रामनगर कॉलोनी में रहने वाले श्री बनखेड़े मात्र 6 वर्ष से शतरंज खेल रहें हैं। हिन्दी विषय में जेएच महाविद्यालय से नियमित छात्र के रूप में पढाई कर रहे श्री बनखेड़े ने 2010 में वेस्ट जोन शतरंज चैम्पीयनशीप नादेड़ में टॉप टेन में स्थान बनाया था तथा दो बार संभाग स्तर पर एवं एक बार ओपन नेशनल शतरंज चैम्पीयनशीप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। मजेदार बात यह है कि इनका शतरंज का पार्टनर दृष्टिहीन दिलीप बारपेटे है और शतरंज सिखाने वाले शिक्षक भी दृष्टिहीन अशोक धाकड़ थे। आज वे जिले के बड़े खिलाड़ी संदीप सोनी से कोचिंग ले रहे हैं। इस संबंध में श्री सोनी ने बताया कि श्री बनखेड़े में शतरंज के प्रति समर्पण और विश्व चैम्पीयनशीप खेलने का जज्बा देखने लायक है। इस तरह शतरंज खिलाड़ी संदीप सोनी के 5 वर्ष के बेटे आर्यन भी शतरंज में अच्छे अच्छे खिलाडिय़ों को मात देते हैं। वो 4 वर्ष की उम्र में अंडर 5 में नेशनल जूनियर दिल्ली में अंडर 7 में इंदौर में अपने कौशल का झंडा गाड़ चुका है। स्टेट सिनियर सागर में वेा अंडर 7 में टॉप पर रहा तथा वहां हुई बड़े-बड़े खिलाडिय़ों के साथ खेलकर उन्हे चकित कर चुका है। गत माह सितम्बर में जिला स्तरीय अंडर 14 में प्रथम आया था। 3 दिसम्बर 13 को अखिल भारतीय शतरंज संघ द्वारा अमरावती में आयोजित शतरंज प्रतियोगिता के दृष्टिहीन शिवकुमार बनखेड़े और दिलीप बारपेटे बैतूल से चयन किए गए है। बैतूल के खेल पे्रमियों ने कामना की है कि वे वहां अपने खेल कौशल से विजय होकर आएगे।