बौद्ध ने बताया कि कर्म ही जीवन में सुख और दुख लाता है
बैतूल । दि बुद्धिष्ट सोसायटी आफ इंडिया जिला शाखा बैतूल के तत्वाधान पंचशील बौद्ध विहार सदर में बौद्ध जयंती मनाई गई। इस अवसर पर बौद्ध के उपदेश, परित्राण पाठ का पूज्य भंते द्वारा वाचन, गीत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भीम गीत एवं कव्वाली रफीक कव्वाल द्वारा प्रस्तुति के पश्चात खीर प्रसादी वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। इस अवसर पर बौद्ध की जीवन पर प्रकार डालते हुए संगठन के जिला अध्यक्ष कमल घोगरकर ने कहा कि दो शब्दों में बौद्ध धर्म को व्यक्त किया जा सकता है- अभ्यास और जागृति। बौद्ध ने बताया कि कर्म ही जीवन में सुख और दुख लाता है। सभी कर्म चक्रों से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है। कर्म से मुक्त होने या ज्ञान प्राप्ति हेतु मध्यम मार्ग अपनाते हुए व्यक्ति को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास कहना चाहिए यही मोक्ष प्राप्ति का साधन है। महासचिव संदीप पाटील ने कहा की बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध हैं। इस धर्म के मुख्यत: दो संप्रदाय है हिनयान और महायान। भगवान बुद्ध के विषय में बताते हुए कहा कि हिंदुओं के नौवें अवतार भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ, तथागत और बोधिसत्व भी कहा जाता है। युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अशोक चरण झरबड़े ने बौद्ध धर्म के मूल तत्व को विस्तार से बताते हुए कहा कि वे तत्व है – चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटक के तीन भाग है- विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्मपिटक। उक्त पिटकों के अंतर्गत उप-ग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएँ है। सुत्तपिटक के पाँच भाग में से एक खुद्दक निकाय की पंद्रह रचनाओं में से एक है धम्मपद। धम्मपद ज्यादा प्रचलित है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष अशोक चरण झरबड़े,सुरेश मालवी, एसडी कापसे, सुरेश वरवड़े, रूप बसंत झरबड़े, राजेश भूमरकर, यादोराव सूयवंशी, धरमदास दवंडे, विनोद दवंडे, श्रीमति चंचल मेश्राम,कीर्ति मालवीय, सुशीला बाई नागले, शिखा चौकीकर, गीता पाटील,निर्मला बाई नागले, हेमलता खातरकर,कमला बाई मानेकर आदि उपस्थित थे।